हाल ही में अमेरिका ने कई भारतीयों को हथकड़ी लगाकर डिपोर्ट कर दिया, जिससे प्रवासी भारतीयों में चिंता बढ़ गई। वहीं, भारत में सीमा हैदर (Seema Haider) जैसे लोग बिना किसी बड़ी कार्रवाई के आराम से रह रहे हैं और सरकारी सुविधाओं का फायदा उठा रहे हैं। यह स्थिति हमारे देश की सुरक्षा, आम लोगों की नौकरियों और संसाधनों पर बड़ा असर डाल रही है।
इस लेख में हम समझेंगे कि अमेरिका और भारत की नीतियों में इतना फर्क क्यों है और इसका भारतीयों पर क्या असर हो सकता है।
अमेरिका अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त क्यों है?
1. कानून का सख्त पालन
- अमेरिका में बिना सही कागजों के रहने वाले लोगों को गैर-कानूनी माना जाता है।
- ऐसे लोगों को पकड़कर डिपोर्ट कर दिया जाता है और कई बार उनके हाथ भी बांध दिए जाते हैं ताकि वे भाग न सकें।
- सरकार का साफ नियम है कि जो लोग बिना इजाजत अमेरिका में रह रहे हैं, वे वहां नहीं रुक सकते।
2. सुरक्षा और नौकरियों की चिंता
- अमेरिका को डर रहता है कि अवैध तरीके से आए लोग उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
- ये लोग बिना किसी रिकॉर्ड के देश में घुस आते हैं, जिससे अपराध बढ़ने का डर रहता है।
- इसके अलावा, ये लोग वहां के नागरिकों की नौकरियां भी छीन सकते हैं, क्योंकि कम सैलरी में काम करने को तैयार रहते हैं।
3. दूसरे देशों से सीखने की जरूरत
- अमेरिका के अलावा यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देश भी अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हैं।
- इन देशों में किसी भी गैरकानूनी तरीके से आए इंसान को ज्यादा समय तक टिकने नहीं दिया जाता।
भारत में Seema Haider जैसे अवैध घुसपैठियों की मौज क्यों है?
1. सीमा हैदर जैसे मामलों पर ढील
- सीमा हैदर पाकिस्तान से बिना किसी कागज के भारत आ गई और यहां खुलेआम रह रही है।
- न सिर्फ उसे सहानुभूति मिल रही है, बल्कि कुछ लोग उसे सपोर्ट भी कर रहे हैं।
- ऐसे मामलों में सरकार की कमजोरी दिखती है, क्योंकि किसी बाहरी को इतनी आसानी से रहने नहीं देना चाहिए।
2. कमजोर कानून और कार्रवाई में ढील
- भारत में अवैध तरीके से घुसे लोगों को तुरंत बाहर करने की कोई पक्की प्रक्रिया नहीं है।
- कई बार इन्हें राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाता है और कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।
- अगर कोई बाहरी भारत में बस जाता है, तो उसे हटाने में सालों लग जाते हैं।
3. भारतीयों को नुकसान कैसे होता है?
- नौकरियों पर असर: घुसपैठिये सस्ते में काम करने को तैयार रहते हैं, जिससे भारतीयों की नौकरियों पर असर पड़ता है।
- सुरक्षा पर खतरा: कई बार ये लोग गलत कामों में भी शामिल पाए जाते हैं, जिससे देश की सुरक्षा को खतरा होता है।
- सरकारी सुविधाओं पर दबाव: ये लोग बिना टैक्स दिए ही सरकारी अस्पतालों, स्कूलों और योजनाओं का फायदा उठाते हैं।
अमेरिका और भारत की नीतियों में इतना फर्क क्यों?
1. कानून का सख्त या ढीला होना
- अमेरिका अपने नागरिकों की सुरक्षा को सबसे ऊपर रखता है और वहां कानून का पालन सख्ती से होता है।
- भारत में नियम तो बने हैं, लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू नहीं किया जाता।
2. राजनीति और वोट बैंक का खेल
- भारत में कई राजनीतिक पार्टियां अवैध घुसपैठियों को नागरिकता देने की बात करती हैं, ताकि वे उनके वोटर बन जाएं।
- सरकारें अक्सर इन मामलों को गंभीरता से नहीं लेतीं, जिससे इनकी संख्या बढ़ती जाती है।
3. सीमा पर कमजोर सुरक्षा
- भारत की सीमाएं कई जगहों पर खुली हैं, जिससे लोग आसानी से आ जाते हैं।
- बांग्लादेश और नेपाल से पैदल ही लोग भारत में घुस सकते हैं और बिना जांच-पड़ताल के यहां बस सकते हैं।
क्या भारत को भी अमेरिका जैसा कदम उठाना चाहिए?
1. कानून सख्त और कार्रवाई तेज करनी होगी
- भारत को भी अवैध रूप से आए लोगों को जल्द से जल्द बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
- इस पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए कि कौन से देश से लोग आ रहे हैं—हर बाहरी को कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा।
2. भारतीयों की सुरक्षा और हक को प्राथमिकता देनी होगी
- अवैध घुसपैठियों के रिकॉर्ड रखने और उनकी सही जांच करने की जरूरत है।
- खासतौर पर उन देशों से आए लोगों पर ज्यादा नजर रखी जानी चाहिए, जहां से सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
3. राजनीति से ऊपर उठकर देशहित में फैसले लेने होंगे
- सरकार को इस मुद्दे पर राजनीति करने की बजाय देश और इसके नागरिकों के भले के बारे में सोचना चाहिए।
- किसी भी बाहरी को वोट बैंक के लिए बसाने की प्रक्रिया पर रोक लगानी होगी।
अमेरिका में अवैध रूप से रहने वालों को सख्ती से डिपोर्ट किया जाता है, जिससे उनकी सुरक्षा और संसाधन सुरक्षित रहते हैं। लेकिन भारत में सीमा हैदर जैसे लोग बिना किसी रोक-टोक के रह रहे हैं, जिससे भारतीयों को नुकसान हो रहा है।
अगर भारत को अपने नागरिकों की भलाई और देश की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी है, तो उसे अमेरिका की तरह ही अवैध घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे। वरना, आने वाले समय में आम भारतीयों की नौकरियों, संसाधनों और सुरक्षा पर और ज्यादा असर पड़ सकता है।