दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है। रविवार को एक कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के दौरान अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने का ऐलान किया। केजरीवाल के इस सनसनी मचा देने वाले फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या केजरीवाल ने जेल में रहने के दौरान ही पद से इस्तीफा देने का मन बना लिया था?
शुक्रवार (13 सितंबर) को तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद, केजरीवाल ने घोषणा की कि वह अगले दो दिनों में इस्तीफा दे देंगे। साथ ही उन्होंने दिल्ली में जल्दी चुनाव करवाने की मांग की और कहा कि जब तक जनता उन्हें “ईमानदारी का प्रमाणपत्र” नहीं देगी, वह मुख्यमंत्री पद नहीं संभालेंगे।
Arvind Kejriwal ने इस्तीफा देने का मन कब बनाया?
आम आदमी पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल ने जेल में रहते हुए ही इस्तीफा देने की योजना बना ली थी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं को अपने इस्तीफे की योजना के बारे में पहले से ही सूचित कर दिया था।
सूत्रों ने बताया, “केजरीवाल ने यह फैसला तब लिया जब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह जेल में रहते हुए इस्तीफा नहीं देंगे। उनकी योजना थी कि रिहाई के बाद इस्तीफा देंगे ताकि उनके फैसले को पारदर्शिता के साथ देखा जाए और यह किसी दबाव का परिणाम न लगे।”
AAP सूत्रों ने यह भी बताया कि केजरीवाल, जो शुक्रवार को तिहाड़ जेल से रिहा हुए, अगले 15 दिनों में मुख्यमंत्री का सरकारी आवास छोड़ देंगे।
केजरीवाल के फैसले पर बीजेपी ने क्या कहा?
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस कदम को “इमोशनल कार्ड” और “अपराध की स्वीकारोक्ति” बताया। बीजेपी ने यह भी सवाल उठाया कि क्या केजरीवाल ने पार्टी के भीतर किसी अंतर्द्वंद्व के कारण इस्तीफा देने की पेशकश की है।
BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने पत्रकारों से कहा-
“जब अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे की बात की, तो यह उनके अपराध की स्वीकारोक्ति बन गई। उन्होंने स्वीकार किया कि उन पर लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि वह मुख्यमंत्री के पद पर बने नहीं रह सकते।”
(स्रोत: इंडिया टुडे)