यूपी में ‘गौशाला’ पॉलिटिक्स: बदबू वाले बयान पर अखिलेश यादव को BJP ने घेरा

Akhilesh Yadav Controversy | उत्तर प्रदेश की राजनीति में हिंदुत्व को लेकर बयानबाजी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंदिर-मस्जिद विवाद से लेकर महाकुंभ और अब गौशाला, हर मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष के बीच सियासी घमासान तेज़ है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा गौशालाओं को लेकर दिए गए बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखा पलटवार किया है। इस पूरे घटनाक्रम ने प्रदेश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

Akhilesh Yadav के किस बयान पर बवाल?

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में प्रदेश में बन रही गौशालाओं पर सवाल उठाते हुए कहा-

“ये(भाजपा) दुर्गंध पसंद करते हैं इसलिए गौशाला बना रहे हैं। हमें सुगंध पसंद है, इसलिए हम इत्र पार्क बना रहे थे। सरकार सांड पकड़ रही है या नहीं? उसका भी पैसा खा जा रहे हैं।”

उन्होंने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए यह भी जोड़ा कि उनकी सरकार सुगंध पसंद करती थी, इसलिए इत्र पार्क बना रही थी। इसके अलावा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि योगी सरकार आवारा सांडों को पकड़ने के नाम पर भी भ्रष्टाचार कर रही है।

भाजपा ने किया जोरदार पलटवार

अखिलेश यादव के इस बयान पर भाजपा ने आक्रामक रुख अपनाया। भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

“समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कह रहे हैं कि गौशालाओं से उन्हें बदबू आती है। वे बताएं कि जब उनके कार्यकाल में स्लॉटर हाउस चलते थे, तब क्या उन्हें वहां से खुशबू आती थी? उनकी सरकार में खुलेआम गाय कटती थी, तब क्या उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई?”

त्रिपाठी ने आगे कहा, “अखिलेश यादव की राजनीति मुगलिया मानसिकता की प्रतीक बनती जा रही है। वे बार-बार सनातन संस्कृति और हिंदुत्व पर हमला कर रहे हैं। जिस बिरादरी की राजनीति करने का दावा वे करते हैं, क्या वे इसे स्वीकार करेंगे कि गौशालाओं से बदबू आती है? यह बयान न केवल सनातन संस्कृति बल्कि परंपरागत गौपालकों का भी अपमान है।”

 

गौशालाओं पर राजनीति क्यों?

उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या लंबे समय से चर्चा में रही है। योगी सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए गौशालाओं की स्थापना को प्राथमिकता दी है। सरकार का दावा है कि इससे न केवल गौवंश की सुरक्षा होगी, बल्कि किसानों की फसलों को भी नुकसान से बचाया जा सकेगा। हालांकि, विपक्ष इसे सरकार की नाकामी के रूप में पेश कर रहा है।

सपा और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर टकराव इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि सपा सरकार के दौरान राज्य में इत्र उद्योग को बढ़ावा दिया गया था। अखिलेश यादव के इत्र पार्क की तुलना गौशालाओं से करने को भाजपा हिंदुत्व विरोधी एजेंडा बताने में जुटी है।

राजनीतिक मायने और प्रभाव

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हिंदुत्व और गौवंश से जुड़े मुद्दे हमेशा से बड़े चुनावी फैक्टर रहे हैं। भाजपा अपने कोर वोट बैंक को मजबूत रखने के लिए ऐसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाती रही है। दूसरी ओर, सपा मुस्लिम और पिछड़ी जातियों के वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे का विरोध करती आई है।

2024 के लोकसभा चुनाव नज़दीक हैं, और ऐसे में हिंदुत्व से जुड़े मुद्दे सियासी बहस का अहम हिस्सा बन रहे हैं। भाजपा अखिलेश यादव के बयान को सनातन संस्कृति के अपमान के तौर पर प्रचारित कर रही है, जबकि सपा इसे सरकार की नाकामियों पर उठाए गए सवालों का जवाब देने से बचने की कोशिश बता रही है।

सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर बहस छिड़ गई है। भाजपा समर्थकों ने अखिलेश यादव पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाया है, जबकि सपा समर्थकों का कहना है कि अखिलेश ने सिर्फ गौशालाओं की दुर्दशा पर सवाल उठाए हैं।

उत्तर प्रदेश में गौशालाओं को लेकर छिड़ी इस सियासी जंग ने हिंदुत्व और विकास के मुद्दों को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। भाजपा जहां इस बयान को सनातन संस्कृति के अपमान के रूप में भुना रही है, वहीं समाजवादी पार्टी इसे सरकार की नाकामी का पर्दाफाश करने का जरिया मान रही है। आगामी चुनावों के मद्देनजर यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस मुद्दे पर किसे सही ठहराती है।

 

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