गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर के तबादले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर योगी सरकार ने बीते मंगलवार रात आईपीएस अजय कुमार मिश्रा का ट्रांसफर कर दिया, वहीं दूसरी ओर लोनी से भाजपा विधायक नंद किशोर गुज्जर ने इसे “रावण राज के अंत” के रूप में देखा और नया कुर्ता पहन लिया।
26 दिनों से अन्न त्याग और फटा कुर्ता
विधायक नंद किशोर गुज्जर ने खुलासा किया कि वे बीते 26 दिनों से अन्न त्यागकर फटा कुर्ता पहन रहे थे। उन्होंने गाजियाबाद के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि
“उन्होंने रामचरित मानस का अपमान किया है। ऐसे व्यक्ति को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।”
कमिश्नर के ट्रांसफर की खबर आने के बाद गुज्जर ने नया कुर्ता पहन लिया और इसे धार्मिक अस्मिता की जीत बताया। नंद किशोर गुज्जर ने कहाः
अतुल कृष्ण भारद्वाज जी, साधु-संतों के मंत्रोचारण, माताओं-बहनों, हिन्दू संगठनों, संघ के पदधिकारीगणों और 36 बिरादरी के आशीर्वाद से मुझे सिर्फ कुर्ता नहीं पहनाया गया है बल्कि मेरी जिम्मेदारियों को और बढ़ाया गया है। मुझे श्रीराम जी पर भरोसा था और आज यह भरोसा फलीभूत हुआ है। मैं आप लोगों को भरोसा दिलाता हूं कि जीवन का हर क्षण राष्ट्र निर्माण, हिंदुत्व, शोषित और जरूरतमंदों की सेवा में समर्पित करूँगा, आपके विश्वास और भरोसे को अक्षुण्ण रखूंगा.
कलश यात्रा को लेकर हुआ था विवाद
विधायक ने यह भी आरोप लगाया कि वह वर्षों से कलश यात्रा निकालते आए हैं, जो बसपा शासनकाल से लेकर 2024 तक चली आ रही परंपरा है। लेकिन इस बार यात्रा को जबरन कमिश्नर के इशारे पर रोका गया, और उनके साथ-साथ कार्यकर्ताओं से अभद्रता की गई। गुज्जर का सवाल था, “क्या धार्मिक यात्रा निकालना अब अपराध है?”
इस पूरे प्रकरण ने गाजियाबाद में पुलिस और राजनीति के टकराव को उजागर कर दिया।
अजय मिश्रा बने प्रयागराज के आईजी, जे रविंदर गौड़ को मिली कमान
आईपीएस अजय कुमार मिश्रा को अब पुलिस महानिरीक्षक (आईजी), प्रयागराज बना दिया गया है। उनकी जगह 2005 बैच के अधिकारी जे रविंदर गौड़ को गाजियाबाद का नया पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया है।
कौन हैं जे रविंदर गौड़?
- मूल निवासी: महबूबनगर, तेलंगाना
- जन्म: 1 दिसंबर 1973
- शिक्षा: पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स डिग्री
- बैच: 2005, आईपीएस
जे रविंदर गौड़ को प्रशासनिक अनुशासन, शांति प्रिय नेतृत्व और कड़ाई से कानून व्यवस्था लागू कराने के लिए जाना जाता है। अब उनके सामने चुनौती होगी कि वह गाजियाबाद जैसे संवेदनशील जिले में पुलिस और जनप्रतिनिधियों के बीच संतुलन कैसे बनाए रखते हैं।
राजनीति, धर्म और प्रशासन के बीच फंसा गाजियाबाद
इस तबादले ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक नियुक्तियाँ अब केवल कानून व्यवस्था नहीं, बल्कि राजनीतिक-सामाजिक समीकरणों का हिस्सा बन चुकी हैं।
लोनी विधायक के प्रतीकात्मक ‘नए कुर्ते’ ने यह साफ कर दिया है कि जनप्रतिनिधियों की नाराजगी सत्ता तक सीधी पहुंच रखती है — और उसकी अनदेखी अब आसान नहीं।