Uttar Pradesh के बहराइच में सांप्रदायिक तनाव फैलाने और 22 वर्षीय एक युवक की हत्या के आरोपी पांच लोगों को पुलिस ने एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले ने योगी आदित्यनाथ सरकार में पुलिस द्वारा अंजाम दिए गए एनकाउंटर की घटनाओं की तरफ एक बार फिर से ध्यान खींचा है।
बहराइच में 13 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय की इबादतगाह के बाहर तेज आवाज में संगीत बजाने को लेकर हुए विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया, जिसमें रामगोपाल मिश्रा नाम के 22 वर्षीय युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। पुलिस ने इस मामले में बृहस्पतिवार को पांच अभियुक्तों को एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार कर लिया और उनमें से दो के पैर में गोली लगी है।
योगी सरकार में एनकाउंटर्स पर उठ रहे सवाल
उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में पुलिस के साथ एनकाउंटर की घटनाएं सुर्खियों में रही हैं और समाजवादी पार्टी (सपा) समेत विभिन्न विपक्षी पार्टियों इस तरह की घटनाओं को लेकर सवाल भी उठाती रही हैं।
उत्तर प्रदेश में पुलिस के साथ एनकाउंटर की घटनाएं नई नहीं हैं हालांकि ऐसी कुछ घटनाएं विभिन्न कारणों से दूसरे एनकाउंटर्स की तुलना में लंबे समय तक लोगों के जहन में बनी रहीं।
Uttar Pradesh में हुए सबसे चर्चित एनकाउंटर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 25 मार्च 2022 को दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से पुलिस के साथ एनकाउंटर की घटनाओं में लगभग 51 अपराधी मारे जा चुके हैं, जिनमें से कुछ चर्चित एनकाउंटर इस प्रकार हैं:
विकास दुबे
कानपुर देहात में गैंगस्टर विकास दुबे ने दो-तीन जुलाई 2020 की दरमियानी रात एक डीएसपी सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। इस मामले के कुछ दिनों बाद 10 जुलाई को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साथ हुई कथित मुठभेड़ में गोली मार दी गई थी। इस सनसनीखेज एनकाउंटर ने पुलिस की ‘गाड़ी पलट गई’ की कहानी के लिए भी सुर्खियां बटोरी थीं।
पुलिस के अनुसार, जिस वाहन में विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर ले जाया जा रहा था वह दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद पलट गया था। उसके बाद आरोपी ने ‘भागने’ की कोशिश की और पुलिस द्वारा की गई जवाबी गोलीबारी में उसे गोली लग गयी थी।
मंगेश यादव
जौनपुर के रहने वाले मंगेश यादव की पांच सितंबर 2024 को सुल्तानपुर में पुलिस के साथ एनकाउंटर में मौत हो गयी थी। मंगेश यादव पर सुल्तानपुर में एक सर्राफा व्यवसाय की दुकान से डेढ़ करोड़ रुपये के जेवर लूटने का आरोप था। इस मामले में आरोपियों की तलाश के दौरान पुलिस के साथ हुए कथित एनकाउंटर में मंगेश यादव की मौत हो गयी थी।
इसके बाद विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी ने पुलिस पर भाजपा सरकार के इशारे पर चुनिंदा ‘जाति’ के लोगों की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया। हालांकि सत्तारूढ़ भाजपा ने इस आरोप का तुरंत खंडन किया। मंगेश की हत्या के तुरंत बाद, उसी डकैती मामले में एक अन्य आरोपी अनुज प्रताप सिंह भी पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि चीजों को ‘संतुलित’ करने के लिए एक ‘ठाकुर’ को एनकाउंटर में मार दिया गया।
असद अहमद
माफिया से नेता बने अतीक अहमद के बेटे असद अहमद की एनकाउंटर में हुई मौत ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। असद अहमद और गुलाम अप्रैल 2023 में झांसी में मारे गए थे। असद पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस के साथ एनकाउंटर में उसकी मौत पर राजनेताओं ने अलग-अलग रुख अपनाया। कुछ लोगों ने कार्रवाई को सही ठहराया तो कुछ ने इस पर सवाल उठाए।
इस बीच, आंकड़ों पर नजर डालने से पता चला कि योगी सरकार के पहले कार्यकाल की तुलना में दूसरे कार्यकाल में पुलिस के साथ हुए एनकाउंटर की घटनाओं में कम मौतें हुई हैं। योगी के पहले कार्यकाल में पुलिस के साथ हुए एनकाउंटर की घटनाओं में 158 अपराधी मारे गए थे।
पुलिस एनकाउंटर्स पर सपा ने उठाए सवाल
बहराइच मामले के आरोपियों की गिरफ्तारी में हुए एनकाउंटर के बाद विपक्षी दलों कांग्रेस और सपा ने राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधा और पुलिस कार्रवाई की सत्यता पर सवाल उठाए।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लखनऊ में पत्रकारों को संबोधित करते हुए राज्य पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए और भाजपा सरकार पर पुलिस को ‘खराब’ करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब भी जांच होगी, दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और वे जेल जाएंगे।
उन्होंने बिना किसी का नाम लिए भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा, “यह पड़ोसी जिले का मामला है। आप मुझसे बेहतर जानते होंगे कि यह घटना (बहराइच हिंसा) करायी गई है।”
कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख अजय राय ने कहा, “इस एनकाउंटर की प्रामाणिकता पहले के एनकाउंटर्स की तरह संदिग्ध है। ये एनकाउंटर लोगों का ध्यान भटकाने के लिए महज दिखावा करने वाली हरकतें लगती हैं।”