India Pakistan Ceasefire | भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच अमेरिका की मध्यस्थता से युद्धविराम (Ceasefire) की घोषणा हुई है। इस पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने एक ओर जहां भारतीय सेना की वीरता की सराहना की, वहीं अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सरकार से चार अहम बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा।
India Pakistan Ceasefire पर ओवैसी
ओवैसी ने भारतीय सेना की बहादुरी की प्रशंसा करते हुए विशेष रूप से जवान एम. मुरली नायक और एडीडीसी राज कुमार थापा को श्रद्धांजलि दी और संघर्ष में शहीद हुए या घायल हुए सभी नागरिकों और जवानों के लिए दुआ की।
उन्होंने कहाः
“जब-जब भारत पर बाहरी आक्रमण हुआ है, मैं सरकार और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा रहा हूं। यह समर्थन हमेशा रहेगा।”
ओवैसी को पाकिस्तान की नीयत पर शक
ओवैसी ने साफ कहा कि सीज़फायर एक अस्थायी समाधान हो सकता है, लेकिन अगर पाकिस्तान अपनी ज़मीन से भारत के खिलाफ आतंकवाद को समर्थन देता रहा, तो स्थायी शांति की उम्मीद करना बेकार होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि चाहे सीज़फायर हो या न हो, भारत को पहलगाम हमले के दोषियों का पीछा नहीं छोड़ना चाहिए।
ओवैसी ने सरकार से पूछे चार गंभीर सवाल
असदुद्दीन ओवैसी ने सीजफायर के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए चार गंभीर सवाल उठाए हैंः
1. तीसरे पक्ष की मध्यस्थता क्यों?
ओवैसी ने कहा कि भारत शिमला समझौते (1972) के बाद से हमेशा तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का विरोध करता रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद सीज़फायर की घोषणा करनी चाहिए थी, न कि किसी विदेशी राष्ट्रपति को। उन्होंने यह चिंता जताई कि कहीं कश्मीर का मामला अंतरराष्ट्रीय मंच पर न पहुंच जाए।
2. बातचीत का स्थान और एजेंडा क्या था?
असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि भारत-पाक बातचीत किसी तीसरे देश में क्यों हो रही है और बातचीत का एजेंडा क्या है? क्या अमेरिका यह गारंटी देता है कि पाकिस्तान अपनी ज़मीन से आतंकवाद को जड़ से खत्म करेगा?
3. क्या भारत का उद्देश्य सिर्फ सीज़फायर था?
ओवैसी ने पूछा कि क्या भारत सिर्फ अमेरिका की मध्यस्थता से युद्धविराम कराना चाहता था, या फिर पाकिस्तान को इतना दबाव में लाना चाहता था कि वह भविष्य में किसी भी आतंकी हमले का विचार भी न करे?
4. FATF ग्रे लिस्ट पर भारत की रणनीति क्या है?
AIMIM प्रमुख ने कहा कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट में बनाए रखने के लिए लगातार अभियान चलाना चाहिए, ताकि आतंकवाद को मिलने वाली विदेशी फंडिंग रोकी जा सके।
ओवैसी ने राजनीतिक दलों को भी नसीहत दी कि जब भारतीय आपस में लड़ते हैं, तब हमारे दुश्मन फायदा उठाते हैं। उन्होंने कहा कि बीते दो हफ्तों के घटनाक्रम से सभी राजनीतिक दलों को सबक लेना चाहिए।
ओवैसी का यह बयान एक तरफ जहां राष्ट्रहित की बात करता है, वहीं सरकार की रणनीति पर पारदर्शिता की मांग भी करता है। यह स्पष्ट है कि भारत में राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की होती है, तो अधिकतर नेता एकजुटता का परिचय देते हैं। लेकिन अमेरिका की मध्यस्थता और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर सवाल उठना लाज़िमी है, और इनका उत्तर मिलना भी जरूरी है।