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भाषा के नाम पर राजनीति करने वालों को अमित शाह का करारा जवाब

Amit Shah addressing the Rajya Sabha, discussing the three-language formula and criticizing DMK for using language as a political tool. The Indian Home Minister emphasizes the importance of all Indian languages and assures commitment to their development.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शुक्रवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में DMK (Dravida Munnetra Kazhagam) पर जोरदार हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि यह पार्टी अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए भाषा को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की विरोधी नहीं है, बल्कि सभी भाषाओं की सखी है।

Three-Language Formula पर DMK का विरोध और शाह का जवाब

तमिलनाडु (Tamil Nadu) में सत्तारूढ़ द्रमुक (DMK) सरकार ने केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है और स्पष्ट कर दिया है कि वह त्रि-भाषा फार्मूले (Three-Language Formula) को स्वीकार नहीं करेगी। इस पर शाह ने कहा-

“हिंदी की किसी भी भारतीय भाषा से स्पर्धा नहीं है। हिंदी से ही सभी भारतीय भाषाएं मजबूत होती हैं और सभी भारतीय भाषाओं से ही हिंदी मजबूत होती है।”

उन्होंने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने राजभाषा विभाग के अंतर्गत भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना की है और सभी भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए ठोस कदम उठाए हैं।

भ्रष्टाचार छुपाने के लिए भाषा का इस्तेमाल?

अमित शाह ने DMK पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “ये जो भाषा के नाम पर दुकान चलाते हैं अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए, उनको यह मजबूत जवाब है।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि सरकार एक ऐसा ऐप विकसित कर रही है जिससे सभी भारतीय भाषाओं का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद संभव होगा। दिसंबर के बाद, केंद्र सरकार राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री और सांसदों से उनकी ही भाषा में पत्र व्यवहार करेगी।

DMK की पोल खोलने की तैयारी

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि NDA (National Democratic Alliance) इस मुद्दे को गांव-गांव लेकर जाएगा और जनता को सच्चाई से अवगत कराएगा। उन्होंने कहा-

“आप अपने घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार छिपाने के लिए भाषा की आड़ लेते हैं। आपकी हम पोल खोलेंगे। गांव-गांव जाकर पोल खोलेंगे कि अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए ये (DMK) भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।”

भारतीय भाषाओं के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता

शाह ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज किया कि भाजपा (BJP – Bharatiya Janata Party) दक्षिण भारतीय भाषाओं (South Indian Languages) के खिलाफ है। उन्होंने DMK पर निशाना साधते हुए कहा-

“हम भी तो वहीं से आते हैं? मैं भी गुजरात से आता हूं। निर्मला जी तमिलनाडु से आती हैं। हम कैसे विरोधी (दक्षिण भारतीय भाषाओं के) हो सकते हैं?”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तमिलनाडु सरकार मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा को तमिल में उपलब्ध कराने में असफल रही है, क्योंकि उसके आर्थिक हित जुड़े हुए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि तमिलनाडु में NDA की सरकार बनती है तो मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई तमिल भाषा में कराई जाएगी।

भाषा के नाम पर जहर फैलाने वालों पर निशाना

शाह ने कहा कि कुछ लोग भाषा के नाम पर जहर फैलाने का काम कर रहे हैं और भारत की भाषाओं को आपस में लड़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा-

“उन्हें हजारों किलोमीटर दूर की कोई भाषा तो अच्छी लगती है पर भारत की भाषा उन्हें अच्छी नहीं लगती है।”

भाषा के मुद्दे पर अमित शाह का यह स्पष्ट संदेश है कि केंद्र सरकार सभी भारतीय भाषाओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह की राजनीति को सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि भाषा के नाम पर राजनीति बंद हो और देश विकास के मार्ग पर आगे बढ़े।

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