बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सरकार के मंत्री मंडल में सात नए चेहरों को शामिल कर एक बड़ा सियासी दांव चला है। दिलचस्प बात यह है कि सभी नए मंत्री भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक हैं, जिससे यह साफ हो जाता है कि सरकार में भाजपा का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।
इस नए विस्तार के बाद बिहार कैबिनेट में कुल मंत्रियों की संख्या 36 हो गई है, जो कि राज्य विधानसभा की कुल सीटों (243) के 15% की अधिकतम सीमा तक पहुंच चुकी है।
राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह
बुधवार को पटना स्थित राजभवन में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सभी नए मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस लिस्ट में जिबेश कुमार, संजय सरावगी, सुनील कुमार, राजू कुमार सिंह, मोती लाल प्रसाद, विजय कुमार मंडल और कृष्ण कुमार मंटू जैसे नाम शामिल हैं।
कौन हैं ये नए मंत्री?
- जिबेश कुमार: अगस्त 2022 तक मंत्री पद पर रहे थे, लेकिन जब नीतीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर महागठबंधन में जाने का फैसला किया था, तब इन्हें कैबिनेट से हटा दिया गया था। अब भाजपा के सत्ता में लौटने के बाद इनकी वापसी हुई है।
- संजय सरावगी: दरभंगा से पांच बार विधायक रह चुके हैं और लंबे समय से भाजपा के महत्वपूर्ण नेताओं में शामिल हैं।
- सुनील कुमार: बिहारशरीफ से विधायक, जो पहले जनता दल (यूनाइटेड) [जद (यू)] में थे लेकिन 2015 में भाजपा में शामिल हो गए।
- राजू कुमार सिंह: मुजफ्फरपुर जिले की साहेबगंज सीट से विधायक, जिन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के टिकट पर जीत दर्ज की थी।
- कृष्ण कुमार मंटू: अमनौर से विधायक, जो हाल ही में ‘कुर्मी चेतना रैली’ के आयोजन के चलते चर्चा में आए थे।
- विजय कुमार मंडल: अररिया जिले के सिकटी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- मोती लाल प्रसाद: सीतामढ़ी के रीगा से विधायक, जिन्हें मंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई है।
जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मंत्री विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का खासा ध्यान रखा गया है। इसमें भूमिहार (जिबेश कुमार) और राजपूत (राजू कुमार सिंह) जातियों से दो मंत्रियों को शामिल किया गया है, जो परंपरागत रूप से भाजपा के मजबूत वोट बैंक माने जाते हैं। इसके अलावा, अधिकतर नए मंत्री उत्तर बिहार से आते हैं, जहां महागठबंधन का प्रभाव भाजपा-नीतीश गठबंधन की तुलना में मजबूत रहा है। ऐसे में यह विस्तार भाजपा के लिए इस क्षेत्र में पकड़ मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है।
‘एक व्यक्ति, एक पद’ नीति और दिलीप जायसवाल का इस्तीफा
इस मंत्रिमंडल विस्तार की खास बात यह भी रही कि भाजपा की ‘एक व्यक्ति, एक पद’ नीति के तहत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जायसवाल पिछले साल जनवरी में बने मंत्रिमंडल में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री थे। वह जुलाई 2024 में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के स्थान पर बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे।
भाजपा की रणनीति और आगामी चुनावों पर असर
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विस्तार भाजपा की चुनावी रणनीति का एक अहम हिस्सा है। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव संभावित हैं, और भाजपा चाहती है कि उसका आधार और मजबूत हो।
अब देखना यह होगा कि यह नया सियासी दांव कितना कारगर साबित होता है और बिहार की राजनीति में आने वाले दिनों में कौन-कौन से नए मोड़ देखने को मिलते हैं।