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मैनपुरीः दहेज हत्या के मामले में पति और देवर को आजीवन कारावास, सास-ननद को कठोर सजा

Image of a gavel on a courtroom desk symbolizing the court's verdict in a dowry death case in Mainpuri, where the husband and brother-in-law received life imprisonment, and other family members were sentenced to prison.

उत्तर प्रदेश में मैनपुरी की एक अदालत ने 2012 के बहुचर्चित दहेज हत्या के मामले में दोषियों को सख्त सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश कुलदीप सिंह की त्वरित अदालत ने पति और देवर को आजीवन कारावास की सजा दी है। सास को 10 साल, जबकि ननद को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। दोषियों पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला मैनपुरी जिले के भोगांव थाना क्षेत्र के गांव दिवरणिया का है। शिकायतकर्ता सर्वेश कुमार ने अदालत में अपनी बेटी रीना की दहेज हत्या का मामला दर्ज कराया था। सर्वेश ने बताया कि रीना की शादी 5 जून 2009 को तुलजापुर गांव के नीरज से हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही रीना के ससुरालवालों ने दहेज में एक भैंस और 20,000 रुपये की मांग शुरू कर दी।

दहेज की मांग पूरी न होने पर 12 अक्टूबर 2012 को रीना के पति नीरज, देवर दीपू, सास शांति देवी, ननद मीनू और एक महिला रिश्तेदार ने रीना को जलाकर मारने की साजिश रची। अस्पताल में उपचार के दौरान रीना ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराया, जिसमें उसने अपने ससुराल वालों को दोषी ठहराया। अगले दिन रीना की मृत्यु हो गई।

अभियोजन पक्ष की भूमिका

शासकीय अधिवक्ता संजीव चौहान ने बताया कि अभियोजन पक्ष ने मामले में ठोस सबूत और गवाह पेश किए। इसके आधार पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया। मामले की सुनवाई के दौरान ससुर अंत राम की मृत्यु हो गई।

अदालत का फैसला

अदालत ने उपलब्ध सबूतों और रीना के बयान के आधार पर सभी दोषियों को सजा सुनाई।

इस निर्णय को दहेज प्रथा के खिलाफ एक कठोर संदेश के रूप में देखा जा रहा है। दहेज के लिए किसी भी प्रकार का उत्पीड़न या हत्या समाज में अस्वीकार्य है, और दोषियों को सजा मिलने से पीड़ित परिवार को न्याय की आस जगी है।

न्यायालय की सख्त टिप्पणी

मामले पर निर्णय देते हुए अदालत ने दहेज प्रथा को समाज के लिए अभिशाप करार दिया। न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं समाज के नैतिक ताने-बाने को तोड़ती हैं और दहेज जैसी बुराई को खत्म करने के लिए कड़ी सजा आवश्यक है।

यह मामला एक बार फिर दहेज प्रथा के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता को उजागर करता है। न्यायालय का यह निर्णय पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।

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