अनिल विज बनाम बीजेपी – क्या पार्टी लेगी एक्शन या थम जाएगा विवाद?

हरियाणा के वरिष्ठ मंत्री अनिल विज और पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के बीच तनातनी अब और गहरा गई है। विज ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और हरियाणा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडोली को लेकर की गई अपनी टिप्पणी पर पार्टी के कारण बताओ नोटिस का जवाब दे दिया है।

8 पृष्ठ का विस्तृत जवाब, विज का पलटवार

हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष ने 71 वर्षीय अनिल विज को तीन दिन में लिखित जवाब देने के लिए कहा गया था। मंगलवार रात को उन्होंने आठ पृष्ठ का विस्तृत जवाब सौंप दिया।

पत्रकारों से बातचीत में विज ने कहा-

“मैं तीन दिन के लिए बेंगलुरु में था और मंगलवार शाम को लौटते ही समय सीमा से पहले जवाब दे दिया। अगर पार्टी को किसी और मुद्दे पर सफाई चाहिए, तो मैं वह भी देने को तैयार हूं।”

जवाब सीलबंद, मीडिया से साझा करने से इनकार

मीडिया में अपने जवाब की जानकारी साझा करने के सवाल पर विज ने चुटकी लेते हुए कहा, “यह सीलबंद लिफाफे में भेजा गया है और इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।” विज ने पार्टी को भी घेरा और पूछा कि उनका कारण बताओ नोटिस मीडिया में कैसे लीक हुआ। उन्होंने मांग की कि इस लीक की जांच होनी चाहिए।

मीडिया से पहले मिली नोटिस की खबर

विज ने कहा कि उन्हें आधिकारिक रूप से नोटिस मिलने से पहले ही मीडिया से इसकी जानकारी मिल गई थी। सोमवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बडोली ने नोटिस जारी करते हुए कहा था कि विज ने मुख्यमंत्री और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ सार्वजनिक बयान दिए हैं, जो गंभीर आरोप हैं और पार्टी की नीति व अनुशासन के खिलाफ हैं। विज को तीन दिन के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया था।

विज की मुखरता और विवादों की कड़ी

सात बार के विधायक विज ने हाल ही में मुख्यमंत्री सैनी पर हमला बोलते हुए दावा किया था कि सैनी के करीबी एक कार्यकर्ता को निर्दलीय उम्मीदवार के साथ देखा गया था, जिसे 2024 के विधानसभा चुनाव में हराया गया था।

पिछले साल अक्तूबर में विज ने अंबाला कैंट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार चित्रा सरवारा को हराकर सातवीं बार जीत दर्ज की थी। जनवरी में उन्होंने आरोप लगाया था कि चुनाव में उन्हें हराने की साजिश रची गई थी और दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

विज ने सीएम सैनी पर कसा था तंज

हरियणा बीजेपी और वरिष्ठ नेता विज के बीच विवाद उस वक्त शुरू हुआ, जब विज ने मुख्यमंत्री सैनी पर तंज कसते हुए कहा था-

“जब से उन्होंने पदभार संभाला है, तब से ‘उड़न खटोला’ (हेलीकॉप्टर) पर सवार हैं। अगर वह नीचे आएं, तो उन्हें जनता की तकलीफें दिखेंगी।”

जनवरी के अंत में विज ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रशासनिक अनदेखी का आरोप लगाते हुए नाराजगी जताई थी। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगर हालात नहीं सुधरे तो वह किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तरह आमरण अनशन पर बैठने के लिए तैयार हैं।

बडोली पर विवाद, बलात्कार मामले में बयान

विज ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडोली पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि बलात्कार के आरोपी बनाए जाने के बाद जब तक बडोली निर्दोष साबित नहीं हो जाते, तब तक उन्हें पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

हाल ही में हिमाचल प्रदेश पुलिस ने बडोली और गायक रॉकी मित्तल के खिलाफ दर्ज कथित सामूहिक बलात्कार के मामले को रद्द करने की रिपोर्ट अदालत में दाखिल की थी। इस मामले में बडोली और मित्तल पर आरोप लगाने वाली महिला समेत छह लोगों के खिलाफ जबरन वसूली और धमकी का मामला भी दर्ज हुआ था।

पहले भी भाजपा से तकरार, खट्टर सरकार से अनबन

अनिल विज की भाजपा नेतृत्व से अनबन कोई नई बात नहीं है। वह मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार में भी असंतुष्ट रहे थे। खट्टर अब केंद्रीय मंत्री हैं, लेकिन विज की नाराजगी पार्टी के भीतर अब भी कायम है।

अगला कदम क्या होगा?

अब सवाल यह उठता है कि भाजपा अनिल विज के जवाब से संतुष्ट होगी या उन पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। विज अपने बयानों से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लगातार असहज कर रहे हैं, और आने वाले दिनों में इस विवाद के और बढ़ने की संभावना है।

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