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महाकुंभ: नाविकों की कमाई पर उठे सवाल, यूपी सरकार ने किया बचाव

A group of boatmen ferrying pilgrims across the Triveni Sangam during Mahakumbh in Prayagraj. Wooden boats filled with devotees can be seen on the river, while the distant ghats and tents of the grand religious gathering create a spiritual ambiance.

प्रयागराज में हुए महाकुंभ ने न केवल धार्मिक महत्व को पुनर्जीवित किया बल्कि कई लोगों के लिए आर्थिक अवसर भी खोले। खासकर नाविकों के लिए यह आयोजन किसी वरदान से कम नहीं था। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, महाकुंभ के दौरान हजारों नाविकों ने अच्छी खासी कमाई की, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ।

लेकिन इस दावे के बीच विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर उस नाविक को लेकर जिसकी 30 करोड़ रुपये की कमाई की खबर सामने आई। इस विवाद के बीच सरकार ने अपना पक्ष मजबूती से रखा और महाकुंभ के आर्थिक प्रभावों पर प्रकाश डाला।

कमाई पर नाविकों ने क्या बताया?

महाकुंभ का आयोजन हमेशा से रोजगार और व्यापार के नए अवसर प्रदान करता रहा है। इस बार भी, खासकर नाविक समुदाय को इसका सीधा लाभ मिला। उत्तर प्रदेश सरकार के एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि महाकुंभ के दौरान 1.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया। इनमें से बड़ी संख्या में लोग नावों का इस्तेमाल करके संगम तक पहुंचे।

प्रयागराज नाविक संघ के अध्यक्ष पप्पू लाल निषाद ने कहा, “1.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने नावों का उपयोग करके त्रिवेणी में डुबकी लगाई।” यह संख्या बताती है कि महाकुंभ के दौरान नावों की मांग कितनी अधिक रही होगी।

बयान के अनुसार, कुल 4,500 नावों का संचालन किया गया, जिनमें से प्रत्येक को कम से कम तीन नाविकों की आवश्यकता थी। इस प्रकार, 13,000 से अधिक नाविकों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला। सरकार का दावा है कि इन नाविकों ने आठ से नौ लाख रुपये तक की कमाई की, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।

क्या वाकई में बदली नाविकों की जिंदगी?

सरकार ने कुछ नाविकों की कहानियां भी साझा कीं, जिन्होंने महाकुंभ से हुई कमाई से अपनी जिंदगी में सुधार किया। सरकार के मुताबिक-

इसके अलावा, योगी सरकार द्वारा नाविकों और अन्य सेवा प्रदाताओं को कुंभ के दौरान दिए गए कौशल प्रशिक्षण की भी प्रशंसा हुई। इससे नाविकों को अपनी सेवा और संचालन को अधिक कुशलता से चलाने का मौका मिला।

विपक्ष के सवाल: 30 करोड़ की कमाई पर विवाद

जहां एक तरफ सरकार महाकुंभ को आर्थिक सुधार का जरिया बता रही है, वहीं विपक्ष ने कुछ आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने एक नाविक, पिंटू महरा की 30 करोड़ रुपये की कथित कमाई पर संदेह जताया। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा-

“इस समाचार की सच्चाई की पड़ताल हो। अगर सच में एक परिवार ने महाकुंभ में अकेले 30 करोड़ कमाए हैं तो जीएसटी कितना मिला ये भी तो बताएं।”

यादव ने आगे कहा, “पहले ठग से ‘एमओयू’ कर लिया, अब नामजद के नाम की सदन में बंद आंखों से तारीफ कर दी। अब तो आंखे खोलें।”

सरकार का बचाव

उत्तर प्रदेश सरकार ने विपक्ष के इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि महाकुंभ ने समाज के निचले तबके के लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया। सरकार के अनुसार, कुछ नाविकों की असाधारण कमाई के मामले को सामान्यीकृत करना सही नहीं होगा। अधिकांश नाविकों ने लाखों रुपये की आय अर्जित की, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हुई।

इस विवाद से स्पष्ट है कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आर्थिक गतिविधियों का भी केंद्र बन चुका है। यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि स्थानीय व्यवसायों और श्रमिकों के लिए भी अवसर लेकर आता है। सरकार और विपक्ष के बीच चल रही बहस के बावजूद, यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रयागराज के नाविकों को महाकुंभ से अप्रत्याशित लाभ मिला।

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