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जब भीड़ बनी मौत का कारण: देश में घटित हुई भगदड़ की बड़ी घटनाएं

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देश की राजधानी के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, शनिवार रात एक दर्दनाक घटना का गवाह बना। भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में कम से कम 18 लोगों की जान चली गई। यह हादसा तब हुआ जब महाकुंभ के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्टेशन पर एकत्रित हुए थे।

यह कोई पहली घटना नहीं है जब देश में भगदड़ ने कई लोगों की जान ली हो। भारत में धार्मिक, सांस्कृतिक और अन्य बड़े आयोजनों के दौरान भीड़ नियंत्रण की चुनौती हमेशा बनी रही है। ऐसी घटनाओं में सुरक्षा उपायों की कमी और अफवाहों के चलते स्थिति अक्सर नियंत्रण से बाहर हो जाती है।

हालिया वर्षों में हुई प्रमुख भगदड़ की घटनाएं

प्रयागराज महाकुंभ, 29 जनवरी 2024

इस वर्ष महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में संगम क्षेत्र में भीषण भगदड़ मच गई। मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम में स्नान करने आए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण हुए इस हादसे में 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 से अधिक लोग घायल हो गए।

हाथरस सत्संग भगदड़, 2 जुलाई 2024

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में स्वयंभू बाबा भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई। इस हृदयविदारक घटना में महिलाओं और बच्चों की संख्या अधिक थी।

इंदौर मंदिर हादसा, 31 मार्च 2023

रामनवमी के अवसर पर इंदौर शहर के एक मंदिर में हवन के दौरान एक प्राचीन बावड़ी के ऊपर बना स्लैब अचानक ढह गया। इस घटना में कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई।

वैष्णो देवी मंदिर भगदड़, 1 जनवरी 2022

नए साल के मौके पर जम्मू-कश्मीर स्थित प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। इस हादसे में 12 लोगों की जान चली गई और एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए।

आंध्र प्रदेश पुष्करम उत्सव, 14 जुलाई 2015

आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में आयोजित ‘गोदावरी पुष्करम’ उत्सव के पहले दिन भारी भीड़ उमड़ने से भगदड़ मच गई। इस दुर्घटना में 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई, जबकि 20 अन्य घायल हो गए।

पटना दशहरा भगदड़, 3 अक्टूबर 2014

पटना के गांधी मैदान में दशहरा समारोह के समापन के बाद अचानक भगदड़ मच गई। इस हादसे में 32 लोगों की मौत हो गई और 26 अन्य घायल हो गए।

रतनगढ़ मंदिर भगदड़, 13 अक्टूबर 2013

मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ मंदिर में नवरात्रि उत्सव के दौरान भगदड़ मच गई। इस घटना में 115 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए। यह भगदड़ एक अफवाह के चलते हुई कि श्रद्धालुओं द्वारा पार किया जा रहा पुल टूटने वाला है।

छठ पूजा हादसा, पटना, 19 नवंबर 2012

पटना में गंगा नदी के किनारे स्थित अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान एक अस्थायी पुल गिरने से भगदड़ मच गई। इस हादसे में लगभग 20 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए।

हरिद्वार भगदड़, 8 नवंबर 2011

हरिद्वार के हर-की-पौड़ी घाट पर गंगा स्नान के दौरान अचानक भगदड़ मच गई। इस हादसे में कम से कम 20 लोगों की जान चली गई।

सबरीमला मंदिर हादसा, 14 जनवरी 2011

केरल के इडुक्की जिले में पुलमेडु के पास एक जीप तीर्थयात्रियों से टकरा गई, जिससे भगदड़ मच गई। इस हादसे में 104 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 40 से अधिक लोग घायल हो गए।

कृपालु महाराज मंदिर हादसा, 4 मार्च 2010

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में भगदड़ मच गई। यह हादसा तब हुआ जब बड़ी संख्या में लोग मुफ्त कपड़े और भोजन लेने के लिए एकत्र हुए थे। इस भगदड़ में लगभग 63 लोग मारे गए।

जोधपुर चामुंडा देवी मंदिर भगदड़, 30 सितंबर 2008

राजस्थान के जोधपुर शहर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाह फैलने से भगदड़ मच गई। इस घटना में लगभग 250 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए।

नैना देवी मंदिर हादसा, 3 अगस्त 2008

हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में चट्टान खिसकने की अफवाह के कारण भगदड़ मच गई। इस हादसे में 162 लोगों की जान चली गई, जबकि 47 लोग घायल हो गए।

मंधारदेवी मंदिर हादसा, 25 जनवरी 2005

महाराष्ट्र के सतारा जिले में मंधारदेवी मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान भगदड़ मच गई। इस घटना में 340 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। यह हादसा उस समय हुआ जब श्रद्धालु सीढ़ियों पर नारियल तोड़ रहे थे, जिससे वहां फिसलन हो गई और अफरा-तफरी मच गई।

नासिक कुंभ मेला भगदड़, 27 अगस्त 2003

महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले के दौरान हुए इस हादसे में 39 लोगों की मौत हो गई और लगभग 140 श्रद्धालु घायल हो गए।

भारत में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों के दौरान भगदड़ की घटनाएं बार-बार सामने आती रही हैं। अधिकतर हादसे भीड़ नियंत्रण की असफलता, अफवाहों और अव्यवस्थित व्यवस्थाओं के कारण होते हैं। इन त्रासदियों से बचने के लिए सुरक्षा उपायों को सख्त करने, भीड़ प्रबंधन की प्रभावी रणनीतियां अपनाने और डिजिटल मॉनिटरिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने की आवश्यकता है।

सरकार और स्थानीय प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और हर व्यक्ति सुरक्षित रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भाग ले सके।

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