नोएडा में पुलिस की नाक के नीचे से फरार हुआ घायल बदमाश

सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करते हुए एक शातिर बदमाश पुलिस की निगरानी के बावजूद जिला अस्पताल से फरार हो गया। मंगलवार सुबह हुई इस सनसनीखेज घटना ने पुलिस प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है। सवाल यह उठ रहा है कि जब अस्पताल में तीन-तीन दरोगा और कई पुलिसकर्मी तैनात थे, तब यह बदमाश उनकी आंखों में धूल झोंककर कैसे भाग निकला?

मुठभेड़ से लेकर अस्पताल तक का सफर

पुलिस के अनुसार, थाना फेस वन की टीम ने मंगलवार तड़के दो कुख्यात लुटेरों श्याम कुमार और समीर अली को एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया था। इस दौरान पुलिस की गोली श्याम कुमार के पैर में लगी थी, जिसके चलते उसे उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

चौकसी के बावजूद कैसे हुई चूक?

अपर पुलिस उपायुक्त सुमित कुमार शुक्ला ने बताया कि अस्पताल में तीन उप निरीक्षक – विवेक कुशवाहा, भूपेंद्र चौधरी और सुनील (तीनों अंडर ट्रेनिंग) समेत कुछ अन्य पुलिसकर्मी सुरक्षा के लिए तैनात थे। लेकिन इसके बावजूद श्याम कुमार सुबह करीब 5:30 बजे उन्हें चकमा देकर फरार होने में सफल हो गया।

यह घटना न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अपराधी पुलिस से एक कदम आगे रहने की फिराक में होते हैं।

पुलिस महकमे में हड़कंप, लापरवाह कर्मियों पर गिरी गाज

बदमाश के फरार होने के बाद पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। प्रशासन ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है।

अब सवाल यह है कि जब अस्पताल में इतनी कड़ी सुरक्षा थी, तो आखिर श्याम कुमार कैसे बच निकला? क्या यह सिर्फ लापरवाही का मामला है या फिर कोई अंदरूनी मिलीभगत भी हो सकती है? यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।

फरार बदमाश की तलाश में जुटी पुलिस

फिलहाल पुलिस की टीमें श्याम कुमार की तलाश में जुटी हैं। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड समेत संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि श्याम कुमार बिहार का रहने वाला है, इसलिए पुलिस यह भी जांच कर रही है कि वह बिहार भाग चुका है या नोएडा में ही कहीं छिपा हुआ है।

सवालों के घेरे में पुलिस की कार्यशैली

यह पहली बार नहीं है जब पुलिस की हिरासत से कोई अपराधी फरार हुआ हो। इस तरह की घटनाएं पुलिस विभाग की सतर्कता पर सवाल खड़े करती हैं। क्या यह सिर्फ एक मामूली चूक थी, या फिर अपराधी को भगाने में किसी अंदरूनी शख्स की भूमिका थी? यह जांच का विषय है, लेकिन इतना तो साफ है कि इस घटना ने नोएडा पुलिस की छवि को झटका जरूर दिया है।

अब देखना यह होगा कि पुलिस जल्द ही इस फरार बदमाश को पकड़ पाती है या नहीं, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।

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