digital arrest case in noida | उत्तर प्रदेश के नोएडा में साइबर अपराध का एक और मामला सामने आया है, जहां साइबर अपराधियों ने एक बुजुर्ग महिला को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर 19 लाख रुपये की ठगी की।
दो दिन तक रखा Digital Arrest
उत्तर प्रदेश के नोएडा के सेक्टर-120 स्थित प्रतीक लॉरेल सोसाइटी की निवासी एक बुजुर्ग महिला को साइबर अपराधियों ने दो दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा। इस दौरान उन्हें गिरफ्तारी का डर दिखाकर उनके बैंक खाते से 19 लाख रुपये की ठगी की गई। पुलिस ने इस घटना की जानकारी शुक्रवार को दी।
कुरियर कंपनी का कर्मचारी बनकर की ठगी
साइबर अपराध थाने के प्रभारी निरीक्षक विजय कुमार ने बताया कि पीड़िता को 11 जून को एक कॉल आई, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को कुरियर कंपनी का कर्मचारी बताया। उसने महिला को बताया कि उन्होंने मुंबई से चीन के लिए जो कुरियर भेजा था, उसमें मादक पदार्थ और अन्य आपत्तिजनक सामग्री मिली है।
स्काइप कॉल के जरिए डराया धमकाया
इसके बाद अपराधी ने वीडियो कॉलिंग ऐप ‘स्काइप’ पर महिला को कॉल करके उन्हें गिरफ्तारी का डर दिखाया। इस डर से महिला को दो दिनों तक एक ही जगह पर बंधक बनाकर रखा गया, जिसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ कहा जाता है। इसी दौरान अपराधियों ने महिला के बैंक खाते से 19 लाख रुपये हस्तांतरित करवा लिए।
मामले की जांच जारी
पुलिस अधिकारी विजय कुमार ने बताया कि इस मामले में प्रासंगिक धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है और मामले की जांच जारी है। पुलिस साइबर अपराधियों की तलाश में जुटी है।
इस घटना ने फिर से साइबर सुरक्षा की अहमियत को रेखांकित किया है, खासकर बुजुर्गों के लिए जो साइबर अपराधियों के आसान शिकार बन सकते हैं।
डिजिटल अरेस्ट क्या होता है? (what is digital arrest)
डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें साइबर अपराधी किसी व्यक्ति को डिजिटल माध्यमों (जैसे, फोन, ईमेल, वीडियो कॉल, सोशल मीडिया) के ज़रिए धमकी देकर या धोखा देकर मानसिक रूप से बंधक बना लेते हैं। इसमें व्यक्ति को इस तरह से डराया-धमकाया जाता है कि वह खुद को किसी अपराध में फंसने से बचाने के लिए या अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए अपराधियों की बात मानने पर मजबूर हो जाता है।
इस प्रक्रिया में, पीड़ित को घर से बाहर जाने, किसी से संपर्क करने या किसी को जानकारी देने से रोका जाता है। इस डर और भ्रम की स्थिति में, अपराधी अक्सर पीड़ित से धनराशि ठगते हैं या उसे अन्य प्रकार से नुकसान पहुँचाते हैं। ‘डिजिटल अरेस्ट’ का उद्देश्य पीड़ित को मानसिक और भावनात्मक रूप से इतना प्रभावित करना है कि वह अपराधियों के निर्देशों का पालन करे, जिससे अपराधी अपने उद्देश्य में सफल हो सकें।