दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले में जमानत दे दी है। हालांकि, उनकी गिरफ्तारी पर कोर्ट में जजों के बीच मतभेद देखने को मिले। यह मामला सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी और उसके वैध होने पर केंद्रित था।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइंया की राय
जस्टिस उज्जल भुइंया का कहना था कि केजरीवाल की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी का उद्देश्य केवल ईडी केस में मिली जमानत को निरर्थक करना था।
- उन्होंने सीबीआई की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि एजेंसी को “पिंजरे का तोता” नहीं बनना चाहिए और गिरफ्तारी का सही कारण स्पष्ट करना चाहिए।
- जस्टिस भुइंया ने ईडी केस में लगाई गई शर्तों पर भी आपत्ति जताई, जिसमें केजरीवाल को मुख्यमंत्री सचिवालय जाने और फाइल साइन करने से रोका गया था।
जस्टिस उज्जल भुइंया ने सीबीआई की गिरफ्तारी की आवश्यकता पर सवाल उठाया और कहा कि मार्च 2023 में पूछताछ के बावजूद, केजरीवाल की गिरफ्तारी नहीं की गई। उन्होंने कहा कि ईडी केस में जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने कार्रवाई की, जिससे यह सवाल उठता है कि यह गिरफ्तारी केवल ईडी केस की जमानत को बाधित करने के लिए थी।
भुइंया ने कहा कि अभियुक्त का चुप रहना भी उसका अधिकार है और इस आधार पर उस पर कोई प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। उन्होंने इसे “न्याय का उपहास” कहा, अगर केजरीवाल को तब भी जेल में रखा जाता है, जब वह ईडी केस में जमानत पर हैं।
सीबीआई की गिरफ्तारी पर जस्टिस सूर्यकांत की राय
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सीबीआई की गिरफ्तारी में कोई कानूनी खामी नहीं है। उन्होंने तीन मुख्य सवाल उठाए:
1. क्या सीबीआई की गिरफ्तारी अवैध थी?
2. क्या केजरीवाल को तुरंत रिहा किया जा सकता है?
3. क्या चार्जशीट फाइलिंग के बाद ट्रायल कोर्ट जाने की आवश्यकता है?
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जब एक मजिस्ट्रेट ने वारंट जारी किया है, तो गिरफ्तारी में कोई प्रक्रिया दोष नहीं माना जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी वैध है और इसमें कोई कानूनी खामी नहीं है।
अरविंद केजरीवाल की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि भारत में जमानत पर एक मजबूत न्यायशास्त्र की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ट्रायल के दौरान लंबी कैद उचित नहीं है और अदालतों को अभियुक्त की स्वतंत्रता के पक्ष में झुकना चाहिए, खासकर जब ट्रायल में देरी हो रही हो।
केजरीवाल को 10 लाख के बॉन्ड पर जमानत दी गई है। साथ ही, केजरीवाल को निर्देश दिया गया है कि वे इस मामले पर सार्वजनिक बयान नहीं दें और ट्रायल कोर्ट में सभी सुनवाइयों में उपस्थित रहें, जब तक उन्हें छूट नहीं दी जाती।
अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई मामले में जमानत दी है, लेकिन गिरफ्तारी की वैधता पर न्यायाधीशों के बीच मतभेद रहे। जस्टिस सूर्यकांत ने गिरफ्तारी को वैध ठहराया, जबकि जस्टिस उज्जल भुइंया ने इसके समय पर सवाल उठाए। अब केजरीवाल को 10 लाख के बॉन्ड पर जमानत दी गई है और उन्हें ट्रायल कोर्ट में सभी सुनवाइयों में उपस्थित होना होगा।