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हथकड़ी और जंजीरें: अमेरिका से निर्वासन की दास्तान

"Deported immigrant in distress, narrating his painful journey from the US with handcuffs and shackles."

बेहतर भविष्य की तलाश में अमेरिका गए पंजाब के दलजीत सिंह को आखिरकार अपने ही देश वापस लौटना पड़ा, लेकिन यह सफर आसान नहीं था। अमेरिका से निर्वासित किए गए 116 भारतीयों में शामिल दलजीत ने बताया कि उनकी वापसी किसी यातना से कम नहीं थी।

बेहतर जिंदगी की तलाश में छोड़ा देश

पंजाब के होशियारपुर जिले के कुराला कलां गांव के रहने वाले दलजीत सिंह ने अपने परिवार को बेहतर भविष्य देने की उम्मीद में 2022 में अमेरिका जाने का सपना देखा। उनके गांव के एक व्यक्ति ने उन्हें एक ट्रैवल एजेंट से मिलवाया, जिसने कानूनी प्रक्रिया के तहत अमेरिका भेजने का आश्वासन दिया और इसके बदले 65 लाख रुपये लिए। इस रकम का भुगतान करने के लिए दलजीत को अपनी एक एकड़ जमीन का अग्रिम अनुबंध देना पड़ा।

खतरनाक ‘डंकी’ रूट से अमेरिका तक का सफर

अमेरिका पहुंचने के लिए दलजीत ने ‘डंकी’ रूट अपनाया, जो बेहद जोखिम भरा और खतरनाक माना जाता है। यह यात्रा नवंबर 2022 में दुबई से शुरू हुई, जहां उन्होंने 18 महीने बिताए। फिर, अगस्त 2023 में उन्हें मुंबई से ब्राजील भेजा गया। वहां करीब एक महीने रहने के बाद उन्होंने अन्य अवैध प्रवासियों के साथ पैदल और टैक्सी के जरिए जंगलों, नदियों और पहाड़ों को पार किया। पनामा का खतरनाक इलाका पार करने में तीन दिन लगे।

इसके बाद, वह कोलंबिया, मध्य अमेरिका और मैक्सिको होते हुए अमेरिकी सीमा तक पहुंचे। इस दौरान खाने-पीने की भारी किल्लत थी। कई बार उन्हें सिर्फ चावल से पेट भरना पड़ा। उनके ग्रुप में लगभग 100 लोग थे, जिनमें आठ भारतीय शामिल थे।

मैक्सिको में ठगी और दबाव

दलजीत ने बताया कि मैक्सिको में उन्हें करीब एक महीने तक रुकना पड़ा। इस दौरान ट्रैवल एजेंट और उनके गांव के एक व्यक्ति ने उनकी साढ़े चार एकड़ जमीन हड़पने का दबाव बनाया। उनकी पत्नी से ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ ली गई, जिससे जमीन का स्वामित्व दलजीत के गांव के एक व्यक्ति को हस्तांतरित कर दिया गया।

अमेरिका की सीमा पर गिरफ्तारी

27 जनवरी को दलजीत को तिजुआना के रास्ते अवैध रूप से अमेरिकी सीमा पार करवाई गई, लेकिन जैसे ही वह सीमा पर पहुंचे, अमेरिकी गश्ती दल ने उन्हें पकड़ लिया। अधिकारियों ने तुरंत उन्हें निर्वासित करने का फैसला किया।

हिरासत में उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। उन्हें कमरे से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। खाने में सिर्फ एक पानी की बोतल, एक पैकेट चिप्स और एक सेब दिया जाता था।

भारत वापसी और न्याय की मांग

अमेरिका से निर्वासित किए गए दूसरे जत्थे में पंजाब के 65, हरियाणा के 33, गुजरात के आठ और अन्य राज्यों के प्रवासी शामिल थे। अमृतसर लौटने के बाद दलजीत ने बताया कि विमान में यात्रा के दौरान उनके हाथों में हथकड़ियां और पैरों में जंजीरें थीं। हालांकि, अमृतसर पहुंचने से पहले ही हथकड़ियां हटा दी गई थीं।

अब दलजीत सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। वह चाहते हैं कि उनकी छीनी गई जमीन वापस मिले और धोखेबाज ट्रैवल एजेंट पर सख्त कार्रवाई हो।

अवैध प्रवासन: एक खतरनाक जाल

दलजीत सिंह की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि हजारों भारतीयों की सच्चाई है जो अवैध तरीके से विदेश जाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा देते हैं। बेहतर भविष्य की तलाश में वे अपनी जमीन, संपत्ति और यहां तक कि अपनी जान भी गंवाने को मजबूर हो जाते हैं।

भारत सरकार और संबंधित एजेंसियों को इस मुद्दे पर सख्ती से कार्रवाई करनी होगी ताकि निर्दोष लोग इस तरह के ठगों के जाल में न फंसें और अपना जीवन सुरक्षित रख सकें।

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