मनमोहन सिंह हमेशा नीली पगड़ी ही क्यों पहनते थे?

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनकी पहचान पॉलिटिशियन, इकनॉमिस्ट और ब्यूरोक्रेट के रूप में थी, लेकिन उनकी नीली पगड़ी भी उनके व्यक्तित्व का अहम हिस्सा थी।

नीली पगड़ी डॉ. सिंह के सौम्य स्वभाव और उनकी सादगी का प्रतीक थी। यह सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि उनके जीवन और करियर में विशेष महत्व रखती थी।

इस कहानी की शुरुआत 2006 में हुई, जब डॉ. सिंह को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट ऑफ लॉ से सम्मानित किया। इस मौके पर उनकी पगड़ी और उसके रंग ने प्रिंस फिलिप का ध्यान आकर्षित किया।

प्रिंस फिलिप के सवाल पर, डॉ. सिंह ने बताया कि उनकी नीली पगड़ी की कहानी उनके छात्र जीवन से जुड़ी है। कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान उनके दोस्तों ने उन्हें “ब्लू टर्बन” का निकनेम दिया था।

डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि नीला रंग उनका पसंदीदा था। यह उनके व्यक्तित्व और उनकी सोच का हिस्सा बन चुका था। यह रंग उनके जीवन में स्थिरता और शांति का प्रतीक था।

नीली पगड़ी न केवल उनकी व्यक्तिगत पसंद थी, बल्कि सिख धर्म में भी इसका गहरा महत्व है। यह सेवा, त्याग और वीरता का प्रतीक मानी जाती है।

प्रधानमंत्री बनने के बाद भी डॉ. सिंह ने अपनी नीली पगड़ी को अपनी पहचान बनाए रखा। यह उनके नेतृत्व की स्थिरता और भरोसेमंद छवि को दर्शाती थी।

समय के साथ उनकी पगड़ी के रंग में हल्के बदलाव भी आए। पहले वे एक ही टोन की नीली पगड़ी पहनते थे, लेकिन बाद में इसके शेड्स में वेरिएशन देखने को मिला।

डॉ. सिंह की नीली पगड़ी ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उनकी एक अलग पहचान बनाई। यह उनकी शालीनता और सादगी का प्रतीक बन गई।