फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) एक बार फिर अपनी बदजुबानी और विवादित बयानों की वजह से चर्चा में हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक आक्रामक पोस्ट में उन्होंने न केवल आलोचकों को निशाने पर लिया, बल्कि अश्लील भाषा का भी इस्तेमाल किया, जो एक जिम्मेदार फिल्मकार की गरिमा के अनुकूल नहीं कहा जा सकता।
“शाहरुख खान से ज्यादा व्यस्त हूं”, बोले कश्यप
अनुराग कश्यप ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
“मैंने सिर्फ शहर बदल लिया है। मैंने फिल्में बनाना नहीं छोड़ा है। उन सभी लोगों के लिए जो सोचते हैं कि मैं निराश हो गया हूँ और चला गया हूँ। मैं यहाँ हूँ और मैं शाहरुख खान से ज़्यादा व्यस्त हूँ (मुझे होना ही है, मैं उतना पैसा नहीं कमाता हूँ) मेरे पास 2028 तक की तारीखें नहीं हैं।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि इस साल उनके निर्देशन में बनी पाँच फिल्में रिलीज होने की उम्मीद है और वे इतने व्यस्त हैं कि रोज़ाना तीन प्रोजेक्ट ठुकरा देते हैं।
“अपना खुद का C@&₹ चूसो” — क्या यही है रचनात्मकता की भाषा?
इस पोस्ट में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कश्यप ने उन ट्रोल्स या आलोचकों को खुले शब्दों में गालियाँ दीं और लिखा:
“तो कृपया अपना खुद का c@&₹ चूसो या अगर तुम इतने लचीले हो तो अपना खुद का a&& चाटो।”
इस अश्लील बयान को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि एक वरिष्ठ और राष्ट्रीय स्तर के फिल्म निर्देशक को इस तरह की सार्वजनिक भाषा से बचना चाहिए।
क्या Anurag Kashyap ने अपना आपा खो दिया है?
यह पहली बार नहीं है जब अनुराग कश्यप ने सोशल मीडिया या इंटरव्यूज में अशिष्ट और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया हो। इससे पहले भी वे कई बार जातिगत टिप्पणियों, राजनीतिक बयानबाज़ी और अपने दंभी रवैये के कारण विवादों में घिर चुके हैं।
हाल ही में उन्होंने ब्राह्मणों को लेकर एक विवादित टिप्पणी दी थी, जब उन्होंने कहा था:
“मैं ब्राह्मणों पर मूतता हूं।”
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फिल्मों नहीं, बयानों से बटोर रहे सुर्खियां
अनुराग कश्यप की आखिरी चर्चित फिल्म “केनेडी” का प्रीमियर 2023 में कान फिल्म महोत्सव में हुआ था, जिसमें सनी लियोनी और राहुल भट्ट मुख्य भूमिका में थे। हालांकि फिल्म अब तक सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हुई।
इसके अलावा वे बतौर अभिनेता “महाराजा” और “राइफल क्लब” जैसी फिल्मों में नजर आए थे। लेकिन इन दिनों उनके काम से ज़्यादा उनके विवादित बयान ही सुर्खियां बटोर रहे हैं।
क्या कहता है फिल्म जगत?
फिल्म इंडस्ट्री में कई लोगों ने अनुराग कश्यप के हालिया विवादित बयानों पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि उनकी असहमति की भाषा बहुत असहज और असंवेदनशील होती जा रही है।
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रचनात्मकता या आक्रोश?
एक समय में बॉलीवुड फिल्मों में नए एक्सपेरिमेंट्स के लिए सुर्खियां बटोरने वाले अनुराग कश्यप अब अशालीनता और गुस्से की भाषा के प्रतीक बनते जा रहे हैं। चाहे वो राजनीतिक विमर्श हो, जातिगत विषय हो या फिल्म समीक्षक—हर किसी पर वह बेहूदा बयानों के लिए सुर्खियां बटोर रहे हैं।
जहाँ एक तरफ वे खुद को “सबसे व्यस्त निर्देशक” बता रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी भाषा और आचरण से लगता है कि वे आलोचना को संभालने का संतुलन खो बैठे हैं।