लद्दाख में बिगड़ते हालात को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भारत ने अंग्रेजों से आज़ादी इसलिए हासिल की थी कि आज़ाद जनता अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) की गुलामी करे?
केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक लंबा पोस्ट लिखते हुए बीजेपी पर लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सत्ता के नशे में चूर बीजेपी एक के बाद एक राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) में बदल रही है और जनता के संवैधानिक अधिकार छीन रही है।
बीजेपी पर केजरीवाल का तीखा हमला
अपने पोस्ट में अरविंद केजरीवाल ने लिखा:
“लद्दाख में आज जो कुछ हो रहा है, वह बेहद खतरनाक संकेत है। हर सच्चे देशभक्त को लद्दाख की जनता के साथ खड़ा होना चाहिए। क्या हमने अंग्रेजों से आज़ादी इसलिए पाई थी कि जनता अब बीजेपी की गुलामी करे? भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिकारियों ने लोकतंत्र की रक्षा और जनता को अपनी सरकार चुनने का अधिकार दिलाने के लिए शहादत दी थी। लेकिन आज सत्ता के नशे में डूबी बीजेपी राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश में बदल रही है और संविधान द्वारा दिए गए अधिकार छीन रही है।”
केजरीवाल ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी लद्दाख के लोगों की आवाज़ दबा रही है और बार-बार वादे करने के बावजूद उन्हें मतदान का अधिकार नहीं दे रही।
“लद्दाख की लड़ाई कल पूरे देश की लड़ाई बन सकती है”
आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लिखा:
“लद्दाख की जनता क्या मांग रही है? वे सिर्फ अपने मतदान का अधिकार, अपनी सरकार चुनने का अधिकार मांग रहे हैं। लेकिन बीजेपी उनकी आवाज़ दबा रही है। लोकतंत्र जनता की आवाज़ है और जब सरकार उसी आवाज़ को दबाने लगे, तो जनता का कर्तव्य है कि वह और बुलंद आवाज़ में बोले। अगर हमें देश का लोकतंत्र बचाना है, तो अब इस तानाशाही के खिलाफ खामोश नहीं रह सकते। लद्दाख की आज की लड़ाई कल पूरे देश की लड़ाई बन सकती है।”
लद्दाख में क्यों भड़का आक्रोश?
लद्दाख में बीते दिनों प्रदर्शन उग्र हो गया था। जनता लंबे समय से राज्य का दर्जा (Statehood) और अनुच्छेद 371 के अंतर्गत छठी अनुसूची (Sixth Schedule) में शामिल किए जाने की मांग कर रही है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि केंद्र सरकार वादे कर रही है लेकिन उन्हें संवैधानिक अधिकार और स्थायी राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं दे रही।
हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की घटनाएं सामने आईं, जिनसे हालात तनावपूर्ण हो गए।
उपराज्यपाल की सुरक्षा समीक्षा बैठक
इसी बीच, लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने गुरुवार को एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में हालात का जायजा लिया गया और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने पर जोर दिया गया।
उपराज्यपाल ने सभी सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल, निगरानी बढ़ाने और किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि शांति और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
लद्दाख संकट और राष्ट्रीय राजनीति
लद्दाख की स्थिति अब सिर्फ क्षेत्रीय मसला नहीं रही, बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बन चुकी है। विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वह जनता की आवाज़ दबाकर लोकतंत्र को कमजोर कर रही है। वहीं, बीजेपी का तर्क है कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने का फैसला विकास और सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया था। लेकिन मौजूदा हालात में बढ़ते असंतोष और विपक्षी हमलों के बीच सरकार पर दबाव और बढ़ गया है।
अरविंद केजरीवाल का यह बयान लद्दाख संकट को और अधिक राजनीतिक धार दे सकता है। एक ओर केंद्र सरकार लद्दाख में सुरक्षा और विकास की बात कर रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमला करार दे रहा है।
अब देखना होगा कि सरकार लद्दाख की जनता की मांगों पर क्या कदम उठाती है और विपक्ष इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर किस तरह उछालता है।