क्या अनुराग कश्यप पगला गया है? फिर उगला जातिवादी ज़हर
लोकतंत्र में कलाकारों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन जब यही स्वतंत्रता लगातार विषैला रूप लेने लगे — जब शब्द असभ्यता और जातीय घृणा में डूब जाएं — तब सवाल उठता है कि क्या यह सचमुच “स्वतंत्रता” है या सिर्फ एक एजेंडा? फिल्मकार अनुराग कश्यप का हालिया बयान — “ब्राह्मण पे मैं मूतूंगा, कोई प्रॉब्लम?” … Read more