प्रदूषण पर CARS24 फाउंडर का PM मोदी को खुला खत: “सर, अब हालात असहनीय हो चुके हैं”

Cars24 Founder Open Letter on Delhi NCR Pollution | दिल्ली–NCR की हवा लगातार खतरनाक होती जा रही है। इस बार सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि देश की जानी-मानी कंपनी CARS24 के फाउंडर और CEO विक्रम चोपड़ा ने भी इस पर खुलकर अपनी चिंता जताई है।

चोपड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ओपन लेटर लिखते हुए कहा है कि NCR की हवा अब सिर्फ खराब नहीं, बल्कि एक बड़ा और लगातार बढ़ता हुआ हेल्थ क्राइसिस बन चुकी है।

यह खत किसी राजनीति की वजह से नहीं लिखी गई है। यह एक फाउंडर, एक पिता और एक बेटे की तरफ से लिखा गया दर्द है, जिसे दिल्ली–NCR में रहने वाला हर आदमी महसूस करता है।

खत में खुलकर साझा की पीड़ा

विक्रम चोपड़ा ने खत में दिल्ली-NCR की दिनोंदिन खराब होती हवा पर चिंता जताई है। उन्होंने लिखा कि दिल्ली-NCR की हवा ने उन्हें ऐसी स्थिति में डाल दिया है कि वे अपनी तीनों भूमिकाएं—फाउंडर, पिता और बेटा—अलग नहीं रख पा रहे। चोपड़ा ने पीएम मोदी को लिखे ओपन लेटर में लिखा-

मैं आपको यह पत्र एक ऐसे व्यक्ति के रूप में लिख रहा हूं जिसने वर्षों विदेश में रहने के बाद भारत लौटने का फैसला किया, यहां ज़ीरो से एक कंपनी बनाई, जो आज देशभर में 7,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती है। मैं यह पत्र एक पिता के तौर पर भी लिख रहा हूं, जो एक छोटे बच्चे की परवरिश कर रहा है, और एक ऐसे बेटे के रूप में भी, जिसके बुज़ुर्ग माता-पिता दिल्ली–NCR में रहते हैं। और मुझे पता है कि मैं उन लाखों लोगों की भावनाएं लिख रहा हूं जो आज वही महसूस कर रहे हैं जो मैं महसूस कर रहा हूं। हमारी हवा की गुणवत्ता जिस स्तर पर पहुंच चुकी है, उसके बाद अब मैं अपने तीनों किरदार—संस्थापक, पिता और बेटा—अलग नहीं रख सकता। यह समस्या तीनों पर एक साथ असर डाल रही है।

“यह कोई छोटी परेशानी नहीं- यह धीरे-धीरे बढ़ता बड़ा संकट है”

बीते कुछ सालों से हर साल पूरा दिल्ली-NCR बेहद खतरनाक वायु प्रदूषण में डूब जाता है। इस स्थिति पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए विक्रम चोपड़ा ने लिखा-

“ऐसी स्थिति जिसे दुनिया की कोई भी विकसित अर्थव्यवस्था स्वीकार नहीं कर सकती। दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद और आसपास के जिलों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए सांस लेना एक मौसमी स्वास्थ्य संकट बन चुका है। प्रोडक्टिविटी गिरती है, अस्पताल भर जाते हैं, बच्चे घरों में कैद रहते हैं, और बुज़ुर्ग संघर्ष करते हैं।

यह कोई असुविधा नहीं- यह एक धीमी गति से आगे बढ़ती सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति है। सर, मैं कोई राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं हूं। मैं भारत की क्षमता में गहराई से विश्वास रखने वाला व्यक्ति हूं, जिसने अपना पूरा करियर इसी देश पर दांव पर लगाया है। मेरी टीम एक ऐसा बिजनेस बना रही है जो भारत की इकॉनमी, एंप्लॉयमेंट और इन्वायरमेंट स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। हम भारत के लिए, भारत से ही निर्माण कर रहे हैं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि भारत ऐसा देश बने जहां लोग बिना डर के जी सकें, काम कर सकें और अपने परिवार पाल सकें। लेकिन आज उत्तर भारत की हवा साल के कई महीनों तक रहने लायक नहीं रह जाती।”

मिलकर निकलेगा समस्या का हल

विक्रम चोपड़ा लिखते हैं कि दिल्ली की हवा सिर्फ दिल्ली की वजह से खराब नहीं होती। दिल्ली-NCR में प्रदूषण बढ़ने के कई कारण हैं। इसलिए इस समस्या को कोई एक राज्य अकेले हल नहीं कर सकता। उन्होंने लिखा-

दिल्ली-NCR की एयर क्वालिटी खराब होने के पीछे वो फैसले भी जिम्मेदार हैं जो दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में लिए जाते हैं। इंडस्ट्रियल एक्टिविटीज़, ट्रांसपोर्ट, कंस्ट्रक्शन का काम, धूल, पराली जलाना, डीज़ल जनरेटर और बदलता टेंपरेचर- ये सब मिलकर एयर क्वालिटी पर असर डालते हैं। प्रदूषण राजनीतिक सीमाओं में बंधा नहीं है। यह राज्यों के बीच बेधड़क फैलता है, इसलिए समाधान भी ऐसा ही होना चाहिए। यह समस्या आपस में इतनी जुड़ी हुई है कि इसे हल करने के लिए आपकी नेतृत्व क्षमता जरूरी है। ऐसा नेतृत्व जो चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक ही टेबल पर लाए, लेकिन सिर्फ प्रतीकात्मक बैठक नहीं; बल्कि स्पष्ट समाधान की जवाबदेही के साथ। एक संयुक्त, पूरे साल चलने वाली ‘नॉर्थ इंडिया एयर क्वालिटी स्कीम’, जिसका नेतृत्व आपके कार्यालय द्वारा हो- यही वह तरीका है जिससे हम वर्षों से चल रहे इस चक्र को तोड़ सकते हैं।

चोपड़ा ने कहा है कि प्रदूषण से निपटने के लिए कचरे/पराली प्रबंधन, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण धूल नियंत्रण और खासकर मोबिलिटी पर समन्वित कार्रवाई चाहिए।

PMO की अगुवाई में एक ‘NCR क्लीन एयर प्लान’ की मांग

चोपड़ा ने प्रधानमंत्री से कहा है कि अब समय आ गया है कि केंद्र सीधे इस मुद्दे को संभाले और चारों राज्यों के साथ मिलकर एक सालभर चलने वाली साफ हवा की योजना बनाई जाए।

उन्होंने तीन बड़े सुझाव रखे—

1. पूरे NCR के लिए एक जैसी EV पॉलिसी

चोपड़ा लिखते हैं, “मोबिलिटी के मामले में, साफ हवा का सबसे तेज रास्ता है- EV आधारित पब्लिक और कमर्शियल ट्रांसपोर्ट की ओर तेज़ बदलाव। अगर दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाज़ियाबाद, सोनीपत, पानीपत और लुधियाना अलग-अलग काम करेंगे, तो असर सीमित रहेगा। लेकिन अगर पूरा क्षेत्र एक साथ आगे बढ़े- समान प्रोत्साहन, साझा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, समयबद्ध EV ट्रांज़िशन योजनाएं और पब्लिक व कमर्शियल फ्लीट्स के लिए EV अनिवार्यता- तो प्रभाव तुरंत और मापने योग्य होगा।”

विक्रम ने लिखा, “मोबिलिटी सेक्टर में काम करने वाले व्यक्ति के तौर पर मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं- इंडस्ट्री उतनी ही तेज़ी से आगे बढ़ती है, जितनी तेज़ी से नीति आगे बढ़े।”

2. पराली का हल किसानों के लिए आसान और सस्ता बनाया जाए

विक्रम चोपड़ा ने पराली जलाने के मामलों की रोकथाम के लिए भी एक संयुक्त आर्थिक दृष्टिकोण अपनाए जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसान अकेले पराली प्रबंधन का खर्च नहीं उठा सकते। बायोमास मार्केट, प्रोत्साहन और तयशुदा खरीद समर्थन- यह सब केंद्र और राज्यों की साझेदारी से आना चाहिए। यह कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, यह आर्थिक डिज़ाइन का मुद्दा है।

3. इंडस्ट्री और कंस्ट्रक्शन से फैलने वाली धूल पर सख्त और नियमित जांच

इंडस्ट्रीज से फैलने वाले प्रदूषण और कंस्ट्रक्शन की वजह से उड़ने वाली धूल पर विक्रम ने कहा कि इसे रोकने के लिए सिर्फ आदेश देने से काम नहीं चलेगा, हफ्ते-दर-हफ्ते मॉनिटरिंग से फर्क पड़ेगा।

“साफ हवा कोई लक्ज़री नहीं—यह सबसे बुनियादी ज़रूरत है”

विक्रम चोपड़ा ने अपने पत्र में लिखा:

मोदी जी, साफ हवा कोई लग्ज़री नहीं है। यह बुनियादी जरूरत है। अगर एक बच्चा खुलकर सांस नहीं ले सकता या एक बुज़ुर्ग बिना डर के घर से बाहर नहीं निकल सकता- तो हमारे देश के बाकी सारे लक्ष्य मायने नहीं रखते।

उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की—

  • दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्यमंत्रियों को एक टेबल पर बैठाया जाए
  • सबके लिए एक साझा जिम्मेदारी तय की जाए
  • यह प्लान सर्दियों तक सीमित न हो — पूरे साल चले
  • और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और डेटा के आधार पर हो, ताकि नागरिकों को भरोसा हो कि प्रगति सच में हो रही है।

विक्रम चोपड़ा कहते हैं कि यह मुद्दा एक-दूसरे को दोष देने से हल नहीं होगा। यह तभी बदलेगा जब सभी मिलकर एक दिशा में काम करेंगे। उनका यह पत्र NCR के लाखों लोगों की तकलीफ़ को आवाज़ देता है। और अब सवाल यह है कि क्या यह चिट्ठी सरकार को बड़ा कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगी… या फिर सर्दियों की हवा की तरह यह आवाज़ भी धुंध में खो जाएगी।

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