Chandigarh Dispute: सियासत में इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही है-केंद्र आखिर चंडीगढ़ के साथ क्या करने की तैयारी में है?
शीतकालीन सत्र शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं, लेकिन पंजाब में माहौल पहले से ही गरम है। वजह है केंद्र सरकार का प्रस्तावित संविधान (131वां संशोधन) बिल, जिसने मुख्यमंत्री भगवंत मान को आक्रामक मोड में ला दिया है। मान ने दो टूक कहा है-
“चंडीगढ़ पंजाब का है। कोई भी ताकत हमारा हक़ छीन नहीं सकती।”
यह विवाद सिर्फ एक बिल का नहीं, बल्कि उस शहर का है जिसे पंजाब के कई गांवों को उजाड़कर बनाया गया था। अब जब केंद्र उसे नई प्रशासनिक श्रेणी में रखने की तैयारी में दिख रहा है, लिहाजा पंजाब की राजनीति में भूचाल आना तय है।
मान का तीखा हमला: ‘यह पंजाब के खिलाफ साजिश है’
सीएम भगवंत मान ने X पर एक लंबा, कड़ा और सीधा संदेश लिखा, जिसने राजनीतिक गलियारों में उबाल ला दिया। उन्होंने कहा:
“हम प्रस्तावित संविधान (131वां संशोधन) विधेयक का कड़े शब्दों में विरोध करते हैं। यह पंजाब के हितों पर वार है। जो चंडीगढ़ हमारी ज़मीन पर बने गांवों को उजाड़कर खड़ा किया गया, उस पर हमारा अधिकार कोई भी छीन नहीं सकता।”
मान ने यह भी साफ किया कि पंजाब सरकार इस कदम के खिलाफ जो भी जरूरी होगा, वह करेगी।
131वां संशोधन आखिर है क्या? (Constitution (131st Amendment) Bill 2025)
यहीं से कहानी रोचक बन जाती है। संविधान (131वां संशोधन) बिल, चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के तहत शामिल करने की दिशा में संकेत देता है।
यह वही अनुच्छेद है जिसके तहत उन केंद्र शासित प्रदेशों का प्रशासन चलता है, जहां विधानसभा नहीं होती।
इस अनुच्छेद के तहत कौन-कौन आता है?
- अंडमान और निकोबार
- लक्षद्वीप
- दादर और नगर हवेली तथा दमन और दीव
- पुदुचेरी (जब विधानसभा भंग या निलंबित हो)
यानी संकेत साफ है- केंद्र सरकार चंडीगढ़ के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव कर सकती है।
और यही पंजाब को सबसे ज़्यादा चुभ रहा है।
शीतकालीन सत्र में हो सकता है बड़ा खेल?
किरण रिजिजू ने ऐलान किया है कि शीतकालीन सत्र 1 से 19 दिसंबर तक चलेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। वहीं, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि सरकार विभागीय सचिवों के साथ समीक्षा बैठक के बाद लंबित बिलों की सूची तैयार कर ली गई है। सरकार जल्द ही सर्वदलीय बैठक बुलाएगी. इसके बाद विपक्ष से राय-मशविरा किया जाएगा। यानी बिल पेश होने की संभावना काफी मजबूत है।
चंडीगढ़ का मुद्दा- दिल से जुड़ा, इतिहास से गहरा
चंडीगढ़ का सवाल पंजाब में सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और ऐतिहासिक है। 1966 के बाद से राज्य कई बार कह चुका है कि चंडीगढ़ उसकी राजधानी है और रहेगी। ऐसे में केंद्र का कोई भी बदलाव सीधा पंजाब की नसों को छूता है। यह मामला पंजाब में “अधिकार बनाम केंद्र” की नई बहस खड़ी कर चुका है।
शीतकालीन सत्र अभी शुरू भी नहीं हुआ, लेकिन राजनीतिक तपिश अपने चरम पर है। केंद्र अपने बिल पर आगे बढ़ता दिख रहा है। उधर, पंजाब आर-पार के मूड में है।
अब नज़र संसद पर है- जहां यह मुद्दा सत्र की सबसे बड़ी राजनीतिक टक्कर साबित हो सकता है।