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डिजिटल अरेस्ट: कैसे ठगों ने नोएडा में महिला से ठगे 34 लाख, जानें पूरा मामला और बचाव के उपाय!

Digital Arrest in Noida

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डिजिटल युग में, जहां तकनीक ने हमारी ज़िंदगी को आसान बनाया है, वहीं साइबर अपराधियों ने इसका दुरुपयोग कर ठगी के नए तरीके अपनाए हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर (नोएडा) से सामने आया है, जिसमें एक महिला से ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जरिए 34 लाख रुपये ठग लिए।


डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रणनीति है, जिसमें वे किसी व्यक्ति को झूठे आरोपों में फंसाने की धमकी देकर पैसे ऐंठते हैं। यह तरीका अक्सर सीमा शुल्क, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), या अन्य सरकारी एजेंसियों के फर्जी दस्तावेजों और नोटिसों का उपयोग करके किया जाता है।

इसमें ठग अपने शिकार को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनके खिलाफ गंभीर कानूनी कार्रवाई की जा रही है और अगर तुरंत भुगतान नहीं किया गया तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। यह मनोवैज्ञानिक दबाव का एक रूप है, जिसे तकनीकी साधनों का उपयोग करके और अधिक प्रभावी बनाया गया है।


नोएडा में डिजिटल अरेस्ट का मामला

नोएडा के सेक्टर-41 में रहने वाली निधि पालीवाल ने उनके साथ हुई 34 लाख रुपये की साइबर ठगी की शिकायत साइबर अपराध थाना पुलिस में दर्ज कराई है। निधि पालीवाल ने पुलिस को अपने साथ हुई ठगी की सिलसिलेवार जानकारी दी है.

नोएडा पुलिस ने चार महीने बाद मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने इस प्रकार की ठगी से बचने के लिए सतर्क रहने की सलाह दी है।


डिजिटल अरेस्ट कितना बड़ा खतरा?

डिजिटल अरेस्ट की घटना यह दिखाती है कि साइबर अपराधी अब तकनीक का दुरुपयोग कर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। इस तरह की ठगी को अंजाम देने के लिए वे निम्नलिखित हथकंडे अपनाते हैं.


डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?

  1. फोन कॉल पर विश्वास न करें: अगर आपको अज्ञात नंबर से कॉल आती है, तो तुरंत व्यक्तिगत या बैंकिंग जानकारी साझा न करें।
  2. दस्तावेज़ों की जांच करें: अगर कोई आपको किसी एजेंसी का नोटिस भेजता है, तो उसकी प्रामाणिकता की जांच करें।
  3. तकनीकी सावधानी: – स्काइप या व्हाट्सऐप कॉल्स पर अपनी जानकारी साझा न करें। संदेहजनक ऐप्स डाउनलोड करने से बचें।
  4. आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: अगर कोई सरकारी विभाग से संबंधित दावा करता है, तो संबंधित विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर जानकारी प्राप्त करें।
  5. पुलिस से संपर्क करें: किसी भी तरह की ठगी का शिकार होने पर तुरंत साइबर अपराध विभाग को सूचित करें।
  6. साइबर जागरूकता: डिजिटल सुरक्षा के लिए सरकारी और गैर-सरकारी जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लें।

भारत में डिजिटल लेन-देन बढ़ने के साथ-साथ साइबर अपराधों में भी वृद्धि हो रही है। 2023 में साइबर अपराध के मामलों में लगभग 18% की वृद्धि देखी गई। इसके तहत डिजिटल अरेस्ट जैसे मामले भी शामिल हैं।

डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर अपराध इस बात की चेतावनी हैं कि हमें अपनी डिजिटल सुरक्षा को लेकर सतर्क रहना चाहिए। नोएडा की घटना यह बताती है कि कैसे अपराधी मनोवैज्ञानिक दबाव और तकनीकी साधनों का उपयोग कर ठगी करते हैं। ऐसे में हमें जागरूकता बढ़ाने और साइबर सुरक्षा के उपायों को अपनाने की आवश्यकता है।

याद रखें, सतर्कता ही सुरक्षा है।

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