मनमोहन सिंह की सादगी और उनकी मारुति 800 का अनूठा किस्सा

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का नाम जब भी लिया जाता है, एक सादगीपूर्ण, निष्ठावान और विद्वान राजनेता का चेहरा हमारी आंखों के सामने आता है। भारत के आर्थिक सुधारों के शिल्पकार, डॉ. सिंह ने न केवल अपनी नीतियों से देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि अपने व्यक्तिगत जीवन में भी उन्होंने सादगी की मिसाल कायम की। उनकी मारुति 800 कार का किस्सा, जिसे वे अपनी “गड्डी” कहकर संबोधित करते थे, उनकी इस सादगी का जीवंत उदाहरण है।

पूर्व IPS असीम अरुण ने साझा की यादें

पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण, जो 2004 से तीन वर्षों तक डॉ. मनमोहन सिंह की सुरक्षा टीम के प्रमुख थे, ने इस बात को साझा किया कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा संभालने के दौरान वे हमेशा उनके करीब रहते थे। उन्होंने डॉ. सिंह की सादगी और उनकी मारुति 800 के प्रति लगाव के कई किस्से याद किए। असीम अरुण के शब्दों में-

“डॉ. साहब की अपनी एक ही कार थी – मारुति 800, जो पीएम हाउस में चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी।”

डॉ. सिंह अक्सर कहते-

“असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद नहीं। मेरी गड्डी तो यह है (मारुति)।”

इस पर असीम अरुण उन्हें समझाते कि बीएमडब्ल्यू गाड़ी सुरक्षा कारणों से चुनी गई है, लेकिन मनमोहन सिंह का अपनी मारुति के प्रति लगाव कभी कम नहीं हुआ।

मारुति 800: मिडिल क्लास का प्रतीक

1980 और 90 के दशक में, मारुति 800 भारतीय मिडिल क्लास का सपना मानी जाती थी। यह कार उन दिनों हर घर की आकांक्षा और भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की पहचान थी। डॉ. मनमोहन सिंह का इसे अपनाना सिर्फ एक वाहन तक सीमित नहीं था; यह उनकी सोच और उनके मूल्यों का प्रतीक था।

प्रधानमंत्री बनने के बाद, जब उनकी सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक और महंगी गाड़ियां उपलब्ध थीं, तब भी उनकी मारुति 800 का उनके जीवन में वही स्थान था। यह घटना दर्शाती है कि सत्ता और वैभव के शीर्ष पर पहुंचने के बावजूद, डॉ. सिंह ने अपनी जड़ों और आम आदमी के जीवन से खुद को अलग नहीं किया।

मनमोहन सिंह की सादगी और उसमें छिपा संदेश

डॉ. मनमोहन सिंह का अपनी मारुति 800 को देखकर भावुक होना यह बताता है कि वह न केवल भारत के मिडिल क्लास के प्रतीक थे, बल्कि उनकी भावनाएं भी उसी वर्ग के साथ गहराई से जुड़ी हुई थीं। जब उनके काफिले की गाड़ियां गुजरतीं, तो वह अपनी मारुति 800 को देखकर मानो यह संकल्प दोहराते थे कि उनकी पहचान और प्राथमिकता आम आदमी की भलाई है।

उनके इस दृष्टिकोण का असर उनकी नीतियों में भी झलकता था। आर्थिक सुधारों और नीतिगत फैसलों के दौरान, डॉ. सिंह ने हमेशा समाज के कमजोर और मध्यम वर्गीय लोगों के हितों को प्राथमिकता दी।

मारुति 800 से जुड़ा एक और किस्सा

एक अन्य घटना, जो उनकी मारुति के प्रति लगाव को दर्शाती है, वह तब की है जब प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने सुझाव दिया कि उनकी पुरानी मारुति 800 को बदल दिया जाए। लेकिन डॉ. सिंह ने इसे ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि यह कार उनके जीवन के संघर्ष और उनकी जड़ों की याद दिलाती है।

डॉ. मनमोहन सिंह की यह सादगी न केवल राजनेताओं के लिए, बल्कि हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा है। यह दिखाता है कि बड़े पदों पर होने के बावजूद अपने मूल्यों और संस्कारों को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।

आज, जब अधिकांश नेता और उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति अपनी शान-शौकत दिखाने में व्यस्त रहते हैं, डॉ. सिंह का यह व्यवहार हमें सिखाता है कि असली पहचान हमारी सरलता और ईमानदारी में है।

डॉ. मनमोहन सिंह और उनकी मारुति 800 का यह किस्सा हमें यह समझने का अवसर देता है कि सादगी और ईमानदारी किसी भी पद या स्थिति से बड़ी होती है। उनके जीवन का यह पहलू न केवल उनकी व्यक्तिगत सोच को उजागर करता है, बल्कि एक ऐसे नेता की छवि भी प्रस्तुत करता है, जो आज के दौर में दुर्लभ है। उनकी यह कहानी आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देती है कि सत्ता और समृद्धि का सही उपयोग समाज और देश की भलाई के लिए किया जाना चाहिए।

डॉ. मनमोहन सिंह की मारुति 800 केवल एक कार नहीं थी, यह उनकी सोच, उनके मूल्य और उनकी पहचान का प्रतीक थी। यह हमें याद दिलाती है कि सादगी और सच्चाई का मार्ग ही वह मार्ग है, जो हमें दूसरों के दिलों में एक स्थायी स्थान दिला सकता है।

 

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