बड़ा फैसला: जाति जनगणना कराएगी मोदी सरकार, जानिए इससे क्या बदलेगा?

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बुधवार को कैबिनेट बैठक में आगामी जनगणना में जाति आधारित आंकड़े इकट्ठा करने का फैसला लिया है। दशकों से राजनीतिक बहस में उलझे इस मुद्दे को अब सरकार ने आधिकारिक मान्यता दे दी है। यह फैसला सामाजिक न्याय, संसाधनों के वितरण और भविष्य की नीतियों के लिए बेहद निर्णायक माना जा रहा है।

क्या है जाति जनगणना?

जाति जनगणना का मतलब है कि अब जनसंख्या के साथ-साथ लोगों की जातीय पहचान से संबंधित आंकड़े भी जुटाए जाएंगे। भारत में अंतिम बार 1931 में ब्रिटिश शासन के दौरान जाति आधारित गणना की गई थी। 2011 की जनगणना में सामाजिक-आर्थिक सर्वे हुआ जरूर, लेकिन उसमें जातिगत आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए थे।

जाति जनगणना पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला

सरकारी सूत्रों के अनुसार, 2026 में प्रस्तावित जनगणना में अब हर नागरिक की जाति की जानकारी भी दर्ज की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस कैबिनेट बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय पारित हुआ।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस डेटा का उपयोग सिर्फ नीतिगत निर्णयों, योजनाओं की प्राथमिकता तय करने और सामाजिक असमानताओं को दूर करने के लिए किया जाएगा।

जाति जनगणना से क्या बदलेगा?

तमाम राजनीतिक दल बीते काफी समय से लगातार जाति जनगणना की मांग कर रहे थे। बहरहाल, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जाति जनगणना की मांग पर मुहर लगा दी है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर जाति जनगणना से क्या बदलेगा? तो चलिए जानते हैंः

1. नीति निर्धारण में पारदर्शिता

जातिगत आंकड़ों के आधार पर सरकार को यह स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि किन जातियों को वास्तव में शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरी और सामाजिक सुरक्षा में अधिक सहायता की ज़रूरत है।

2. आरक्षण व्यवस्था की पुनः समीक्षा

यह आंकड़े आरक्षण नीति की प्रभावशीलता को समझने और उसे सुधारने में सहायक होंगे। इससे यह भी पता चलेगा कि किन वर्गों को अभी तक पर्याप्त लाभ नहीं मिला।

3. राजनीतिक समीकरणों में बदलाव

जाति आधारित जनगणना से राजनीतिक दलों को वोट बैंक की सटीक जानकारी मिलेगी। इससे चुनावी रणनीतियों और टिकट वितरण में बड़ा फेरबदल हो सकता है।

4. सामाजिक न्याय को मजबूती

जाति जनगणना के बाद सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के लिए अधिक प्रभावशाली योजनाएं बना सकेगी। इससे समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।

जाति जनगणना पर विपक्ष की प्रतिक्रिया

केंद्र सरकार के इस फैसले का राजनीतिक गलियारों में गर्मजोशी से स्वागत हुआ है। विपक्षी दलों ने कहा है कि वह लंबे समय से इसकी मांग उठा रहे थे, आखिरकार सरकार को उनकी मांग के आगे झुकना पड़ा।

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना को आगामी जनसंख्या सर्वे में शामिल किए जाने के केंद्रीय कैबिनेट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहाः

“यह हमारी 30 साल पुरानी मांग थी। यह हम समाजवादियों और लालू यादव की जीत है… पहले बिहार के सभी दलों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी, लेकिन उन्होंने हमारी मांग ठुकरा दी थी। कई मंत्रियों ने भी इसे नकारा था, लेकिन यह हमारी ताकत है कि अब उन्हें हमारे एजेंडे पर काम करना पड़ रहा है.”

जातीय जनगणना को राष्ट्रीय जनगणना में शामिल किए जाने पर कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा:

“मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं। यह कांग्रेस की जीत है। आखिरकार मोदी सरकार को जातीय जनगणना करानी ही पड़ रही है।”

कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और समाजवादी पार्टी जैसे दल लंबे समय से इस मांग को उठा रहे थे। अब जब सरकार ने इसे मंजूरी दी है, तो यह एक राजनीतिक और सामाजिक संतुलन की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

जाति जनगणना का यह फैसला केवल एक आंकड़ा संग्रह भर नहीं है, बल्कि यह भारत की सामाजिक संरचना को समझने और उसे सुधारने की दिशा में एक इतिहासिक पहल है। अब देखना होगा कि सरकार इस डेटा का उपयोग कितनी ईमानदारी और संवेदनशीलता से करती है

 

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