नोएडा मर्डर केस: बेटे ने बीमा क्लेम के लिए की पिता की हत्या, ऐसे खुली पोल

Noida Murder Case | जब पैसे की भूख रिश्तों को निगलने लगे, तो इंसान और हैवान में फर्क खत्म हो जाता है।

नोएडा में घटी यह घटना कोई आम मर्डर केस नहीं है – यह एक बेटे की दरिंदगी, लालच और बेईमानी का खौफनाक नमूना है। एक ऐसा अपराध, जहां कातिल और शिकार एक ही खून से जुड़े थे। संतोष बोसक को जिस पिता ने जिंदगी दी, उसी की जिंदगी छीन ली, सिर्फ इसलिए कि उसे 50 लाख रुपये की बीमा राशि चाहिए थी!

सोचिए, एक बेटा अपने ही पिता के कत्ल की पूरी प्लानिंग करता है। पहले उनके साथ कर्ज में डूबता है, फिर बीमा की रकम देखकर लालच में अंधा हो जाता है। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती—हत्या के बाद वह खुद को घायल करता है, झूठी कहानी गढ़ता है, पुलिस को गुमराह करता है और फिर तीन महीने तक उसी पैसे को खर्च करता है, जो उसके पिता की लाश पर मिला था।

पर सच ज्यादा देर तक छिपता नहीं। पुलिस की पैनी नजर और गहरी जांच ने इस खूनी खेल का पर्दाफाश कर दिया। एक तरफ पिता की नृशंस हत्या, दूसरी तरफ बीमा कंपनियों को धोखा देने की साजिश।

आइए, इस पूरे षड्यंत्र को समझते हैं—विस्तार से, गहराई से।


लालच, कर्ज और एक खूनी साजिश की बुनियाद

उत्तर प्रदेश के नोएडा में वह बेटा जिसने पिता की गोद में खेला, वही बेटा एक दिन पिता के खून का सौदागर बन गया। वजह? 50 लाख रुपये की बीमा राशि।

नोएडा पुलिस के मुताबिक, संतोष बोसक नामक युवक ने अपने पिता प्रकाश बोसक की निर्मम हत्या कर दी, सिर्फ इसलिए ताकि वह बीमा क्लेम कर सके। हत्या को एक अज्ञात हमले की तरह दिखाने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन पुलिस की जांच ने परतें उधेड़ दीं।

अब सवाल यह है कि एक बेटा अपने ही पिता के खून का प्यासा क्यों बना? इस पूरी साजिश की जड़ें एक बड़ी आर्थिक तंगी में छिपी थीं।


कैसे कर्ज के दलदल में फंसा परिवार?

हत्या की यह कहानी 2022 में शुरू होती है, जब प्रकाश और संतोष ने एक साथ 12.5 लाख रुपये का लोन लिया था। इस पैसे से उन्होंने बुलंदशहर में एक घर खरीदा। लेकिन किस्तें भारी पड़ने लगीं—हर महीने 12,500 रुपये चुकाना मुश्किल था। इस वजह से उन्होंने एक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से 21 लाख रुपये का कर्ज लिया।

नए लोन से मिली 21 लाख की रकम से पिता – पुत्र ने पिछला लोन चुका दिया और बाकी के रुपये संतोष ने अपने मसाला पैकेजिंग व्यापार के खाते में जमा कर दिए। लेकिन इस नए लोन ने कर्ज का फंदा और कस दिया। अब अब नये लोन की 27 हजार रुपये की मासिक किस्त भरना पिता-पुत्र के लिए मुश्किल हो गया।

पिता-पुत्र दोनों यह रकम नहीं चुका पा रहे थे। और इसी दौरान संतोष को एक बड़ा राज पता चला – उसके पिता के नाम पर दो बीमा पॉलिसियां थीं, जिनकी कुल रकम 50 लाख रुपये थी।

बस, यहीं से उसने खेल खेलना शुरू कर दिया।


हत्या की खौफनाक साजिश

दिसंबर 2024 – संतोष ने हत्या का पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया था।

हत्या के दिन, वह अपने पिता को स्कूटी पर बैठाकर निकला। वे सिकंदराबाद थानाक्षेत्र के बिशवाना गांव के पास पहुंचे। संतोष ने स्कूटी रोकी और पिता से पेशाब करने को कहा। जैसे ही प्रकाश बोसक दीवार की तरफ मुड़े, पीछे से संतोष ने उन पर चाकू से वार कर दिया! पहला वार गर्दन पर, दूसरा वार पीठ पर और तीसरा वार इतना गहरा कि प्रकाश बोसक ने वहीं दम तोड़ दिया।

संतोष ने खुद को निर्दोष दिखाने के लिए अपने ही सीने पर हल्की चोट मारी। चाकू को झाड़ियों में छिपा दिया। फिर एक समाधि के पास जाकर ऐसे खड़ा हो गया, जैसे वह खुद हमले का शिकार हुआ हो।

इसके बाद संतोष ने पुलिस से मदद मांगी। पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसके पिता की किसी अज्ञात व्यक्ति ने हत्या कर दी है।


बीमा कंपनी की आंखों में झोंकी धूल

अपर पुलिस उपायुक्त सुधीर कुमार ने बताया कि हत्या के बाद संतोष ने अपने पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया और महज तीन महीने के भीतर 50 लाख रुपये की बीमा राशि प्राप्त कर ली।


Noida Police की तेज़ नज़र ने बिगाड़ दिया खेल

हत्या के तीन महीने बाद, संतोष बीमा क्लेम करने में सफल रहा और 50 लाख रुपये उसके खाते में आ गए। लेकिन पुलिस भी इतनी आसानी से हार मानने वालों में से नहीं थी। पुलिस ने जब मामले की गहराई से जांच की, तो कई अहम सुराग हाथ लगे:

  • संतोष की कॉल डिटेल्स – हत्या के वक्त वह उसी लोकेशन पर था।
  • बीमा की फाइलें – हत्या के तुरंत बाद बीमा क्लेम का प्रोसेस तेज़ करवाना।
  • झूठा हमला – संतोष की खुद की चोटें बेहद हल्की थीं, जो आत्मरक्षा का नाटक लग रही थीं।

बस, यहीं से केस का पूरा रुख बदल गया।


कानून के शिकंजे में कातिल बेटा

नोएडा पुलिस ने संतोष को दनकौर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया। अपर पुलिस उपायुक्त सुधीर कुमार ने बताया-

“हत्या के बाद संतोष ने अपने पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया और तीन महीने के भीतर 50 लाख रुपये की बीमा राशि प्राप्त कर ली। लेकिन बारीकी से की गई जांच में उसकी साजिश का पर्दाफाश हो गया।”

अब संतोष जेल में है—पैसा तो मिल गया, लेकिन पिता का खून उस पर हमेशा के लिए लगा रहेगा।


यह अपराध डराता क्यों है?

  1. क्या यह आर्थिक तंगी का नतीजा था, या लालच का?
  2. क्या कर्ज ने उसे हत्यारा बना दिया, या वह पहले से ही इतना निर्दयी था?
  3. क्या बीमा फ्रॉड की ऐसी घटनाएं अब बढ़ने लगी हैं?

इस केस ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है – क्या हम पैसों के लिए रिश्तों की क़ीमत लगाने लगे हैं?


 

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