जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए भीषण आतंकी हमले (pahalgam terror attack) ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। मिनी स्विटजरलैंड कहे जाने वाले इस पर्यटन स्थल पर हुआ यह हमला कई सवाल खड़े करता है- सुरक्षा व्यवस्था से लेकर आतंकियों के मंसूबों तक। आइए जानते हैं इस हमले से जुड़ी हर जरूरी जानकारी।
पहलगाम में क्या हुआ?
पहलगाम की बैसरन घाटी में घूमने आए पर्यटकों को आतंकवादियों ने निशाना बनाकर अंधाधुंध फायरिंग की। हमले के दौरान पहलगाम की घाटी चीख-पुकार और गोलियों की आवाज़ों से गूंज उठी। यह वही पहलगाम है, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है और जो पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है।
यह आतंकी हमला कब हुआ?
पहलगाम आतंकी हमला 22 अप्रैल 2025 को मंगलवार की दोपहर को अंजाम दिया गया। उस वक्त घाटी में बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने आए थे, जिससे हमले का प्रभाव और भी भयावह हो गया।
पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी किसने ली?
पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (The Resistance Front – TRF) नामक आतंकी संगठन ने ली है। यह संगठन 2019 में अस्तित्व में आया था और इसे पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन माना जाता है। TRF का गठन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुआ था और यह कश्मीर में सक्रिय आतंकी नेटवर्क का हिस्सा है।
हमले में कितने लोगों की मौत हुई?
अब तक की पुष्टि के अनुसार, इस हमले में कुल 26 लोगों की मौत हो चुकी है। मारे गए पर्यटकों की राज्यवार जानकारी इस प्रकार है:
- मध्य प्रदेशः एक
- कश्मीरः एक
- महाराष्ट्रः छह
- हरियाणाः एक
- उत्तराखंडः एक
- पश्चिम बंगालः दो
- नेपालः एक
- उत्तर प्रदेशः एक
- ओडिशाः एक
- बिहारः एक
- केरलः एक
- चंडीगढ़ः एक
- तमिलनाडुः एक
- कर्नाटकः तीन
- गुजरातः तीन
- अरुणाचलः एक
यह हमला हाल के वर्षों में सबसे भयावह नागरिक हत्याओं में से एक माना जा रहा है।
आतंकी कितने थे और उनके पास क्या हथियार थे?
जानकारी के अनुसार, इस हमले में करीब 6 आतंकी शामिल थे। सभी के पास AK-47 जैसे अत्याधुनिक स्वचालित हथियार थे। हमले की योजना पहले से बनी हुई थी और आतंकियों ने टारगेट के रूप में साफ तौर पर निहत्थे पर्यटकों को चुना।
सुरक्षाबलों की क्या प्रतिक्रिया रही?
हमले के बाद सुरक्षाबलों ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए पूरे पहलगाम क्षेत्र को सील कर दिया। एनकाउंटर की भी खबरें सामने आई हैं, जिसमें दो आतंकियों के मारे जाने की अपुष्ट सूचना है। NIA और जम्मू-कश्मीर पुलिस की विशेष शाखाएं मामले की जांच में जुटी हैं।
क्या पहलगाम पहले भी आतंकी निशाने पर रहा है?
पहलगाम अमरनाथ यात्रा का भी एक प्रमुख पड़ाव है और पहले भी यह आतंकी हमलों का शिकार हो चुका है। हालांकि, इस तरह का सीधा पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया हमला बहुत दुर्लभ है और इससे कश्मीर के पर्यटन उद्योग को बड़ा झटका लगने की आशंका है।
केंद्र और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया क्या रही?
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने हमले की निंदा करते हुए शोक व्यक्त किया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने की बात कही है।
पहलगाम आतंकी हमला न सिर्फ एक जघन्य अपराध है, बल्कि यह कश्मीर में शांति की कोशिशों पर भी बड़ा हमला है। TRF जैसे संगठनों का बढ़ता प्रभाव और खुलेआम पर्यटकों को निशाना बनाना दर्शाता है कि आतंकी अब रणनीति बदल चुके हैं। इस हमले से देश को सतर्क होने की ज़रूरत है — ना केवल सुरक्षा के मोर्चे पर, बल्कि नरम रुख रखने वाली नीतियों की समीक्षा करने की भी आवश्यकता है।
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