PM Modi Podcast: पीएम मोदी ने बताया- पत्रकारिता कैसी होनी चाहिए?

PM Modi Podcast | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक पॉडकास्ट कार्यक्रम में पत्रकारिता को लेकर एक रोचक और सोचने लायक बात कही। उन्होंने लंदन में अपने एक पुराने भाषण को याद करते हुए बताया कि पत्रकारिता दो तरह की हो सकती है—एक मक्खी की तरह और दूसरी मधुमक्खी की तरह।

इस उदाहरण के जरिए उन्होंने पत्रकारिता की जिम्मेदारी और असर के बारे में गहरा संदेश दिया।

PM Modi Podcast | मक्खी बनाम मधुमक्खी पत्रकारिता

पीएम मोदी ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें तय करना होगा कि वे किस तरह की पत्रकारिता को अपनाना चाहते हैं। उन्होंने समझाया कि:

  • मक्खी: मक्खी हमेशा गंदगी वाली चीजों पर बैठती है और उसे ही चारों ओर फैलाती है। यानी नकारात्मकता को ढूंढना, उसे बढ़ावा देना और समाज में निराशा पैदा करना मक्खी जैसी पत्रकारिता है। यह ऐसी रिपोर्टिंग है, जो केवल सनसनीखेज और नकारात्मक खबरों को प्राथमिकता देती है।
  • मधुमक्खी: दूसरी ओर, मधुमक्खी फूलों पर बैठती है और वहां से शहद इकट्ठा करके समाज में मिठास फैलाती है। लेकिन जब कोई गलत काम करता है, तो वही मधुमक्खी ऐसा डंक देती है कि तीन दिन तक उसका असर रहता है। यानी सच्ची पत्रकारिता वही है, जो समाज को सही जानकारी दे, अच्छा माहौल बनाए, लेकिन जब जरूरत पड़े तो सटीक आलोचना करने से भी पीछे न हटे।

पीएम मोदी का संदेश: पत्रकारिता की ताकत और जिम्मेदारी

पीएम मोदी का यह उदाहरण सिर्फ पत्रकारों के लिए ही नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए एक सीख है, जो खबरों और सूचनाओं से जुड़ा हुआ है। उन्होंने साफ किया कि पत्रकारिता की ताकत सिर्फ खबरें फैलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज को सही दिशा देने का काम भी करती है। सच्चे पत्रकार को समाज का मार्गदर्शक होना चाहिए, न कि सिर्फ टीआरपी और सनसनी के पीछे भागने वाला व्यक्ति।

क्या भारतीय मीडिया मक्खी वाली पत्रकारिता की ओर बढ़ रही है?

आज के डिजिटल दौर में जहां सोशल मीडिया, ब्लॉग्स और यूट्यूब चैनल्स तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं मक्खी वाली पत्रकारिता का असर भी बढ़ता जा रहा है। लोग सनसनीखेज खबरों को ज्यादा पसंद करने लगे हैं, जिससे सकारात्मक और सटीक रिपोर्टिंग पीछे छूट रही है।

कैसे करें मधुमक्खी जैसी पत्रकारिता?

  • सच की खोज: पत्रकारों को तथ्यों की जांच करके रिपोर्टिंग करनी चाहिए। अफवाहों और बिना प्रमाण वाली खबरों से बचना चाहिए।
  • अच्छी खबरों को बढ़ावा: खबरें सिर्फ नकारात्मक घटनाओं पर केंद्रित न होकर, समाज के अच्छे कार्यों और उपलब्धियों को भी उजागर करें।
  • निष्पक्षता: मीडिया का कर्तव्य है कि वह किसी के पक्ष में न होकर, निष्पक्षता बनाए रखे।
  • सटीक आलोचना: जब भी गलत हो, तो उसकी कड़ी आलोचना होनी चाहिए। लेकिन आलोचना तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए, न कि पूर्वधारणाओं पर।

पत्रकारिता की असली ताकत

प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश केवल पत्रकारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर उस व्यक्ति के लिए है, जो खबरों को पढ़ता, देखता और साझा करता है। पत्रकारिता का असली मकसद समाज को जागरूक करना और सही दिशा में ले जाना है। मक्खी वाली पत्रकारिता नकारात्मकता फैलाती है, जबकि मधुमक्खी वाली पत्रकारिता समाज को मजबूत और अच्छा बनाती है। अब फैसला हमें करना है—हमें कैसी पत्रकारिता चाहिए?

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