‘आदिवासियों के हक की लूट’: गुजरात में PM मोदी की रैली पर ₹50 करोड़ खर्च करने का आरोप, संजय सिंह ने उठाए सवाल

Gujarat Tribal Fund | आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने गुजरात की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है। संजय सिंह का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया रैली के लिए गुजरात सरकार ने आदिवासी विकास फंड (Tribal Development Fund) से ₹50 करोड़ की भारी-भरकम राशि डायवर्ट की है।

कुपोषित बच्चों का हक रैली में बहाया: संजय सिंह

सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संजय सिंह ने कड़े लहजे में कहा कि एक तरफ गुजरात के डेडियापाड़ा जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में हजारों बच्चे कुपोषण की मार झेल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार उनके विकास के लिए आरक्षित पैसों को इवेंट्स पर खर्च कर रही है।

उन्होंने कहा-

“हैरानी की बात यह है कि जिस क्षेत्र (डेडियापाड़ा) में करीब 12 हजार बच्चे कुपोषित हैं, वहां उनकी सेहत सुधारने, स्कूल और अस्पताल बनाने के बजाय करोड़ों रुपए प्रधानमंत्री के टेंट और चाय-नाश्ते पर उड़ा दिए गए।”

रैली के खर्च का कच्चा चिट्ठा (AAP के दावों के अनुसार)

संजय सिंह ने रैली के आयोजन पर हुए खर्च का विस्तृत ब्योरा पेश करते हुए भाजपा सरकार को घेरा:

मद (Item) अनुमानित खर्च (करोड़ में)
भव्य मंडप (Pandal) ₹7 करोड़
बसों का इंतजाम (Crowd Mobilization) ₹7 करोड़
भव्य मंच (Stage Construction) ₹5 करोड़
डोम निर्माण (Dome) ₹3 करोड़
शौचालय व्यवस्था (Toilets) ₹2 करोड़
चाय और नाश्ता ₹2 करोड़

सांसद ने तंज कसते हुए कहा कि टॉयलेट और नाश्ते जैसे इंतजामों पर भी करोड़ों खर्च करना आदिवासियों के साथ क्रूर मजाक है।

“विधायक ने मांगा हिसाब तो सरकार बोली- पैसा नहीं है”

संजय सिंह ने ‘आप’ विधायक चैतर वसावा का जिक्र करते हुए बताया कि जब विधायक ने सरकारी बैठकों में आदिवासी बच्चों के कुपोषण और बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क-पानी के लिए बजट की मांग की, तो अधिकारियों और सरकार की ओर से फंड की कमी का हवाला दिया गया।

“जब विकास की बात आती है तो भाजपा कहती है पैसा नहीं है, लेकिन जब प्रधानमंत्री की मार्केटिंग और रैलियों की बात आती है, तो तिजोरी खोल दी जाती है,” सिंह ने आरोप लगाया।

छात्रवृत्ति बंद, रैलियां चालू

AAP नेता ने यह भी आरोप लगाया कि गुजरात में एक तरफ गरीब बच्चों की स्कॉलरशिप (छात्रवृत्ति) फंड की कमी के कारण रुकी हुई है, वहीं दूसरी तरफ आदिवासी कल्याण का पैसा राजनीतिक रैलियों में ‘बर्बाद’ किया जा रहा है। उन्होंने आदिवासी समाज से अपील की कि वे इस सच्चाई को समझें कि कैसे उनके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

इस विवाद ने गुजरात की राजनीति में आदिवासी अधिकारों और सरकारी फंड के दुरुपयोग के मुद्दे को फिर से गरमा दिया है। हालांकि, अभी तक इस मामले पर भाजपा या गुजरात सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

 

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