यूपी के थानों में ठाकुर राज? अखिलेश के आरोप पर DGP का जवाब

Akhilesh Yadav | उत्तर प्रदेश में जाति एक बार फिर सियासत की धुरी बन रही है। प्रदेश में प्रमुख पदों पर जाति विशेष के लोगों की पोस्टिंग का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। आरोप है कि प्रमुख पदों पर पोस्टिंग में ठाकुर समाज के लोगों को वरीयता दी जा रही है। यह आरोप प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लगाया है।

अखिलेश यादव ने हाल ही में पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। अखिलेश यादव ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा थाः

डीजीपी रिटायर होने जा रहे हैं। यूपी में अगला पुलिस डीजीपी कौन होगा, इसकी दो चीजें तो हमें पता हैं। एक तो डीजीपी कार्यवाहक होगा और दूसरा सिंह होगा. बीच में नाम क्या होगा, ये अभी नहीं पता है।

इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के थानों में तैनात एसएचओ और एसओ को लेकर भी सनसनीखेज दावा किया था। अखिलेश ने कहा थाः

आगरा में कुल 48 एसएचओ और एसओ पोस्टेड हैं। इनमें से पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) 15 हैं। बाकी सब सिंह भाई लोग हैं। मैनपुरी में एसएचओ और एसओ की कुल 15 पोस्टिंग हैं, इनमें पीडीए 3 हैं और सिंह भाई लोग 10 हैं। चित्रकूट में एसएचओ-एसओ की कुल 10 पोस्टिंग हैं, इनमें पीडीए 2 और सिंह भाई पांच हैं। महोबा में कुल 11 पोस्टिंग हैं, इनमें पीडीए तीन और सिंह छह हैं.

अखिलेश यादव ने प्रदेश के अन्य जिलों में भी प्रमुख पदों पर पोस्टिंग में ठाकुरों को प्रमुखता देने का आरोप लगाया है।

Akhilesh Yadav के आरोप पर DGP का जवाब

उत्तर प्रदेश पुलिस के DGP प्रशांत कुमार ने अखिलेश यादव के बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया है। उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रमुख को ऐसी भ्रामक सूचनाओं को फैलाने से बचने की नसीहत भी दी है।

पुलिस विभाग में जातिगत आधार पर पोस्टिंग नहीं होती है. शासन के निर्देश के अनुसार ही सभी पोस्टिंग होती हैं. जो भी व्यक्ति इस तरह की भ्रामक सूचना फैला रहा है उसे पहले तथ्यों के आधार पर जानकारी को परख लेना चाहिए। किसी भी माध्यम से गलत सूचनाएं प्रसारित करना उचित नहीं है. – प्रशांत कुमार, डीजीपी, यूपी पुलिस

डीजीपी ने यहां तक कह दिया कि ऐसे बेबुनियाद आरोपों पर प्रतिक्रिया देने का भी कोई तुक नहीं बनता है। डीजीपी ने स्पष्ट किया कि सभी पोस्टिंग नियमानुसार ही होती हैं।

सपा सरकार पर भी लगे थे यादवों को बढ़ावा देने के आरोप

बता दें, यह पहला मौका नहीं है जब प्रमुख पदों पर पोस्टिंग में किसी जाति विशेष को बढ़ावा देने पर सियासत हो रही है। पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार पर भी प्रमुख पदों पर पोस्टिंग में यादवों को प्रमुखता दिए जाने की बात सामने आई थी। इस मामले ने भी काफी तूल पकड़ा था। सोशल मीडिया और अखबारों में ऐसी कई लिस्ट छापी गई थीं, जिसमें एसडीएम, डीएम, एसओ, एसएचओ, डीएसपी जैसे पदों पर यादव आसीन थे।

बहरहाल, यूपी में जाति की राजनीति एक बार फिर पांव पसारने लगी है। आने वाले चुनाव में ही यह तय होगा कि सियासत में जाति की यह धुरी किस दिशा में घूमेगी?

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