UP Matikala Mela | उत्तर प्रदेश के पारंपरिक शिल्पकारों के हुनर ने एक बार फिर सफलता की नई कहानी लिखी है। माटीकला बोर्ड द्वारा आयोजित प्रदेशव्यापी मेलों में इस वर्ष ₹4.20 करोड़ से अधिक की बिक्री दर्ज की गई है, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में करीब ₹91 लाख अधिक है।
यह उपलब्धि न सिर्फ राज्य सरकार के प्रयासों की सफलता को दर्शाती है, बल्कि इस बात का सबूत भी है कि ‘मिट्टी की कला’ अब आत्मनिर्भर भारत की मज़बूत नींव बनती जा रही है।
बिक्री में 27.7% की रिकॉर्ड बढ़ोतरी
उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में 10 दिवसीय माटीकला महोत्सव, 07 दिवसीय क्षेत्रीय माटीकला मेले और 03 दिवसीय लघु माटीकला मेले आयोजित किए। इन सभी मेलों में कुल 691 दुकानें लगाई गईं और ₹4,20,46,322 की बिक्री हुई। यह पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में दर्ज कुल बिक्री ₹3,29,28,410 की तुलना में ₹91,17,912 अधिक है, जो लगभग 27.7 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सबसे ज्यादा फोकस परंपरागत शिल्पों और उद्योगों में कार्यरत कारीगरों की उन्नति पर है। प्रदेश समेत देश-विदेश में उनके उत्पादों को वृहद स्तर पर खरीदार मिलें, इसके लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं और माटीकला बोर्ड इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
70 जिलों में ‘मिट्टी की महक’
लखनऊ, गोरखपुर, आगरा, कानपुर देहात और मुरादाबाद में आयोजित क्षेत्रीय मेलों में खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ी।
- लखनऊ: 10 से 19 अक्टूबर तक चले 10 दिवसीय महोत्सव में 56 दुकानों ने ₹1.22 करोड़ की बिक्री की।
- गोरखपुर, आगरा, कानपुर देहात, मुरादाबाद: 7 दिवसीय मेलों में 126 दुकानों ने ₹78.84 लाख की बिक्री की।
- 70 जनपदों के लघु मेले: 509 दुकानों के ज़रिए ₹2.19 करोड़ का कारोबार हुआ।
यह आंकड़े बताते हैं कि माटीकला उत्पादों के प्रति लोगों का आकर्षण अब सिर्फ परंपरा तक सीमित नहीं, बल्कि यह अब एक तेजी से बढ़ता हुआ बाजार बन चुका है।

क्वालिटी और इनोवेशन ने मोहा मन
हालांकि इस वर्ष दुकानों की संख्या पिछले साल से कम थी, फिर भी बिक्री में बढ़ोतरी यह संकेत देती है कि प्रोडक्ट्स की क्वालिटी, डिजाइन और प्रजेंटेशन ने खरीदारों का विश्वास जीता है।
माटीकला बोर्ड ने इस साल उत्पाद डिजाइन, ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर खास ध्यान दिया, जिससे कारीगरों की आमदनी में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला।
योगी सरकार का ‘मिट्टी से समृद्धि’ मॉडल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पारंपरिक कारीगरों को सशक्त करने के लिए लगातार नए कदम उठा रही है। सरकार ने माटीकला बोर्ड का गठन कर न सिर्फ इन शिल्पकारों को संगठित मंच दिया, बल्कि उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण, सामाजिक सुरक्षा, और मॉर्डन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध कराए।
गांवों में प्रजापति समुदाय के कारीगरों को राहत देते हुए, सरकार ने तालाबों से मिट्टी निकालने की प्रक्रिया को निःशुल्क कर दिया है — जिससे उत्पादन लागत में उल्लेखनीय कमी आई है और कारीगरों की आमदनी में सीधा इज़ाफ़ा हुआ है।
आत्मनिर्भरता की राह पर ‘माटीकला’
माटीकला बोर्ड के महाप्रबंधक ने बताया कि इन मेलों ने कारीगरों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ने का सुनहरा अवसर दिया है। खरीदारों ने स्थानीय शिल्प को उत्साह से अपनाया, जिससे न सिर्फ ब्रांड वैल्यू बढ़ी, बल्कि उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिली।
आगामी वर्षों में इन मेलों को और अधिक जिलों तक विस्तारित करने की योजना है, ताकि ‘मिट्टी से बनी कला’ पूरे विश्व में उत्तर प्रदेश की पहचान बन सके।
योगी सरकार की यह पहल साबित कर रही है कि जब परंपरा को नीतिगत सहयोग और मॉर्डन मार्केटिंग का सहारा मिलता है, तो मिट्टी भी करोड़ों की कहानी लिख सकती है।