ग्रामीण भारत के लिए सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना मानी जाने वाली मनरेगा (MGNREGA) अब इतिहास बनने जा रही है। संसद ने विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G RAM G Bill, 2025 को मंजूरी दे दी है। सरकार का दावा है कि यह योजना रोजगार के दिन बढ़ाकर, भुगतान व्यवस्था सुधारकर और प्रशासनिक ढांचे को “आधुनिक” बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देगी।
लेकिन विपक्ष इसे “नाम बदलकर अधिकार कमजोर करने” की कोशिश बता रहा है। खास तौर पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस बिल को लेकर संसद से सड़क तक लड़ाई का ऐलान कर दिया है।
संसद में आधी रात तक बहस, विपक्ष का तीखा विरोध
VB-G RAM G Bill को बुधवार दोपहर लोकसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बीच पारित किया गया। उसी दिन यह राज्यसभा में पेश हुआ और आधी रात के बाद इसे मंजूरी मिल गई।
विपक्ष का आरोप है कि यह कानून ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार की गारंटी को कमजोर करता है और राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालता है।
VB-G RAM G क्या है? नाम के पीछे क्या सोच
VB-G RAM G का पूरा नाम Viksit Bharat Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin) है। यह केंद्र सरकार की नई ग्रामीण रोजगार योजना है, जिसे महत्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), 2005 की जगह लागू किया गया है। सरकार के अनुसार, इस योजना का मकसद “विकसित भारत” के लक्ष्य के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार और आजीविका की गारंटी को नया ढांचा देना है।
VB-G RAM G के तहत ग्रामीण परिवारों को साल में 125 दिनों तक रोजगार, तेज़ और साप्ताहिक भुगतान, और आपदा की स्थिति में विशेष छूट जैसे प्रावधान किए गए हैं। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि नाम बदलकर योजना को पेश करना दरअसल मनरेगा के मूल अधिकार-आधारित स्वरूप को कमजोर करने की कोशिश है।
मनरेगा बनाम VB-G RAM G: क्या बदला, क्या नया है
| बिंदु | मनरेगा (MGNREGA) | VB-G RAM G |
|---|---|---|
| पूरा नाम | महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 | Viksit Bharat Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin), 2025 |
| योजना का स्वरूप | अधिकार आधारित कानून | केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme) |
| रोजगार की गारंटी | 100 दिन प्रति वर्ष | 125 दिन प्रति वर्ष |
| भुगतान व्यवस्था | 15 दिनों के भीतर भुगतान | साप्ताहिक भुगतान का प्रावधान |
| देरी पर मुआवजा | देरी पर मुआवजा का प्रावधान | 16वें दिन के बाद 0.05% प्रतिदिन मुआवजा |
| फंडिंग पैटर्न | केंद्र का योगदान लगभग 90–100% | सामान्य राज्यों में 60% केंद्र, 40% राज्य |
| पूर्वोत्तर/पहाड़ी राज्य | विशेष प्रावधान | 90% केंद्र, 10% राज्य |
| बेरोजगारी भत्ता | राज्य सरकार देती थी | राज्य सरकार ही देगी |
| काम का आवंटन | जिला स्तर पर लेबर बजट | केंद्र सरकार तय करेगी राज्यवार सीमा |
| अतिरिक्त खर्च | केंद्र वहन करता था | तय सीमा से ज्यादा खर्च राज्य वहन करेगा |
| पंचायतों की भूमिका | योजना और क्रियान्वयन में केंद्रीय भूमिका | स्टीयरिंग कमेटियों के बाद सीमित भूमिका |
| नो-वर्क पीरियड | कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं | 60 दिन का पूर्व-घोषित नो-वर्क पीरियड |
| आपदा में छूट | सीमित प्रावधान | विशेष छूट और अतिरिक्त काम की अनुमति |
संजय सिंह का तीखा हमला: “तीन कृषि कानूनों जैसा हश्र होगा”
राज्यसभा में चर्चा के दौरान AAP सांसद संजय सिंह ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा-
“VB-G RAM G बिल लाकर मोदी सरकार ने एक बार फिर गरीबों, किसानों और मजदूरों के साथ विश्वासघात किया है। मनरेगा का नाम बदलकर सरकार रोजगार की गारंटी को कमजोर करना चाहती है। पहले केंद्र 90 फीसदी पैसा देता था, अब सिर्फ 60 फीसदी देगा, ऐसे में कर्ज में डूबे राज्य बाकी 40 फीसदी कहां से लाएंगे? यह बिल भी तीन कृषि कानूनों की तरह किसानों और मजदूरों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर करेगा और सरकार को आखिरकार इसे वापस लेना पड़ेगा। सरकार सिर्फ नाम बदलकर अपनी नाकामियों को छिपाना चाहती है, लेकिन देश का गरीब अब सच्चाई समझ चुका है।”
राजनीतिक और सामाजिक टकराव की आहट
VB-G RAM G बिल अब कानून बन चुका है, लेकिन इसके खिलाफ सियासी संघर्ष तेज़ होने के संकेत साफ हैं। एक तरफ सरकार इसे ‘विकसित भारत’ की दिशा में कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे ग्रामीण गरीबों के अधिकारों पर हमला करार दे रहा है।
आने वाले दिनों में यह मुद्दा सिर्फ संसद तक सीमित नहीं रहेगा— किसान, मजदूर और राज्य सरकारें—सबकी परीक्षा अब ज़मीन पर होने वाली है।