बाबा सिद्दीकी कौन थे? कराई थी सलमान और शाहरुख की सुलह

मुंबई में एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना शहर की राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तहलका मचा गई। अपनी लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक यात्रा के दौरान, बाबा सिद्दीकी सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, बल्कि उन्होंने कई लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला।

इस लेख में, हम बाबा सिद्दीकी के जीवन और उनके योगदान पर नज़र डालते हैं, जिसमें उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत से लेकर बॉलीवुड के बड़े नामों तक उनकी पहुंच शामिल है।

हत्या की घटना

बाबा सिद्दीकी की हत्या उस समय हुई, जब वे अपने बेटे जीशान सिद्दीकी के कार्यालय के बाहर खड़े थे। खबरों के अनुसार, तीन से चार हमलावरों ने उन पर दो से तीन राउंड फायरिंग की। उन्हें तुरंत लीलावती अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां पहुंचने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।

हत्या से सिर्फ 15 दिन पहले सिद्दीकी को जान से मारने की धमकी मिली थी, जिसके बाद उन्हें ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी। लेकिन इसके बावजूद, हमलावरों ने उनके खिलाफ इस भयानक साजिश को अंजाम दिया। इस मामले की जांच चल रही है और पूरे राजनीतिक जगत ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए सिद्दीकी के लिए न्याय की मांग की है।

बिहार से बंबई तक का सफर

बाबा सिद्दीकी का जन्म बिहार में हुआ था, लेकिन बाद में उन्होंने मुंबई को अपना घर बना लिया। युवा अवस्था में ही उन्होंने राजनीति में कदम रखा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) से जुड़ गए। सिद्दीकी की नेतृत्व क्षमता और युवाओं के बीच लोकप्रियता ने उन्हें जल्दी ही एक महत्वपूर्ण नेता बना दिया।

जल्द ही, उन्होंने छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश किया और मुंबई महानगरपालिका में नगरसेवक के रूप में चुने गए। यह उनकी राजनीति में दीर्घकालिक यात्रा का पहला कदम था, जिसने उन्हें मुंबई के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

विधायक और मंत्री के रूप में सेवाएं

बाबा सिद्दीकी की राजनीतिक यात्रा उस समय नई ऊंचाइयों पर पहुंची जब उन्होंने बांद्रा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुनाव जीता। उन्होंने 1999, 2004 और 2009 में लगातार तीन बार यह सीट जीती। इसके अलावा, उन्होंने महाराष्ट्र सरकार में खाद्य और नागरिक आपूर्ति, श्रम और खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) विभाग में राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया।

अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने विशेष रूप से मुंबई के नागरिकों के लिए खाद्य आपूर्ति और श्रमिक अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर काम किया। उनकी राजनीति का उद्देश्य हमेशा से आम जनता की समस्याओं को हल करना रहा। इस वजह से, उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में जाना गया जो लोगों के मुद्दों से निपटने के लिए तत्पर रहते थे।

कांग्रेस छोड़ एनसीपी में हुए शामिल

फरवरी 2024 में, बाबा सिद्दीकी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) छोड़कर अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल होने का फैसला किया। यह कदम महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव था।

कांग्रेस छोड़ने के अपने फैसले पर सिद्दीकी ने कहा था कि कांग्रेस में उनकी स्थिति “करी पत्ते” जैसी थी, जो खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और फिर फेंक दिया जाता है। उन्हें लगता था कि कांग्रेस पार्टी में उन्हें हाशिए पर रखा जा रहा था और उनकी बातों को महत्व नहीं दिया जा रहा था। एनसीपी में शामिल होने के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य एक ऐसी राजनीतिक जगह ढूंढना था, जहां उनकी आवाज़ सुनी जा सके।

जीशान सिद्दीकी: राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए

बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी भी राजनीति में सक्रिय हैं। जीशान ने बांद्रा (पूर्व) से कांग्रेस विधायक के रूप में काम किया, लेकिन अगस्त 2024 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया।

जीशान के निष्कासन और बाबा सिद्दीकी के एनसीपी में शामिल होने से मुंबई की राजनीति में एक नया मोड़ आया। हालांकि, दोनों पिता-पुत्र अपने क्षेत्र की सेवा और अपनी राजनीतिक पकड़ को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध रहे।

मशहूर इफ्तार पार्टियां: राजनीति और बॉलीवुड के बीच पुल

राजनीति के अलावा, बाबा सिद्दीकी अपनी शानदार इफ्तार पार्टियों के लिए भी जाने जाते थे, जो मुंबई के सामाजिक जीवन का एक प्रमुख हिस्सा बन गई थीं। ये पार्टियां सिर्फ राजनीतिक नहीं थीं, बल्कि बॉलीवुड, मीडिया और अन्य क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों का जमावड़ा बनती थीं।

2013 में, ऐसी ही एक इफ्तार पार्टी ने राष्ट्रीय सुर्खियों में जगह बनाई, जब सिद्दीकी ने बॉलीवुड के दो सबसे बड़े सितारों, शाहरुख खान और सलमान खान को एक साथ लाने में कामयाबी हासिल की। 2008 से दोनों के बीच जारी एक कड़वाहट को समाप्त करते हुए, सिद्दीकी की पार्टी में दोनों सितारे गले मिले और अपने पांच साल पुराने झगड़े को खत्म किया।

बॉलीवुड से सीधा संबंध न होने के बावजूद, सिद्दीकी का सामाजिक और सांस्कृतिक जगत में यह योगदान उनकी विशेष पहचान को और मजबूत करता है।

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