Site icon

trump tariffs india: Zomato फाउंडर दीपिंदर गोयल ने जो कहा, वो हर भारतीय को पढ़ना चाहिए

Zomato founder Deepinder Goyal reacted on US tariffs

अमेरिका के भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के फैसले ने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। इस कदम से भारतीय निर्यातकों को झटका लगा है, तो वहीं देश की आर्थिक स्वतंत्रता पर एक नई बहस भी शुरू हो गई है। इसी संदर्भ में Zomato के संस्थापक दीपिंदर गोयल ने एक सशक्त बयान दिया है, जो केवल एक उद्यमी की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और रणनीतिक संदेश के रूप में सामने आया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों लगाया टैरिफ?

अमेरिका और भारत के रिश्तों में एक नया मोड़ उस वक्त आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले कई उत्पादों पर 25% अतिरिक्त टैक्स (टैरिफ) लगाने का ऐलान कर दिया। पहले से लागू 25% टैक्स के साथ मिलाकर अब यह कुल 50% टैरिफ हो गया है।

अमेरिका ने इस अतिरिक्त टैरिफ के पीछे जो कारण बताया है, वह हैरान करने वाला है। राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि भारत ने रूस से डिस्काउंट में तेल खरीदकर अमेरिकी नीतियों की अनदेखी की, और “युद्ध मशीन” को फंड किया। अमेरिका चाहता है कि रूस पर दबाव बना रहे, लेकिन भारत जैसे देश रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर उस दबाव को कम कर रहे हैं।

इसलिए उन्होंने यह टैरिफ एक “कड़ा संदेश” देने के लिए लगाया है—जिसका असर भारत के एक्सपोर्टर्स पर सीधे पड़ेगा।

अतिरिक्त टैरिफ का क्या असर होगा?

  1. निर्यात पर मार: कपड़ा, गहने, फार्मा, इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स जैसे सेक्टर अमेरिका को भारी मात्रा में एक्सपोर्ट करते हैं। अब इनकी कीमत अमेरिका में ज्यादा हो जाएगी और डिमांड घट सकती है।
  2. छोटे और मिडियम बिज़नेस पर असर: जिन MSMEs की पूरी कमाई एक्सपोर्ट से होती है, उन्हें झटका लग सकता है।
  3. GDP पर असर: कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस टैरिफ का असर भारत की GDP पर 0.3%–0.5% तक पड़ सकता है।
  4. राजनीतिक दबाव बढ़ेगा: भारत को वैश्विक मंचों पर अब अपनी स्थिति और नीति को लेकर ज्यादा स्पष्टीकरण देने पड़ सकते हैं।

दीपिंदर गोयल की प्रतिक्रिया: “अब अपनी औकात तय करने का वक्त है”

जोमैटो के फाउंडर दीपिंदर गोयल ने अमेरिका के रवैये पर बेहद भावनात्मक और सीधी बात कही है, जो हर भारतीय के भीतर छुपे गुस्से और आत्मसम्मान को आवाज़ देती है।

“हर कुछ साल में दुनिया हमें हमारी औकात याद दिला देती है। कभी धमकी, तो कभी टैक्स। लेकिन बात हमेशा एक ही होती है—भारत, अपनी औकात में रहो।”

ये सिर्फ शब्द नहीं हैं, बल्कि एक करारा तमाचा है उन ताकतों के मुंह पर जो बार-बार भारत को झुकाने की कोशिश करती हैं।

“दुनिया की बड़ी ताकतें हमें हमेशा दबाने की कोशिश करती रहेंगी, जब तक कि हम अपना नसीब अपने हाथों में लेना नहीं सीख जाते।”

“और ऐसा तभी होगा, जब हम मिलकर ये ठान लें कि हम दुनिया की सबसे बड़ी, सबसे बेझिझक और सबसे दमदार सुपरपावर बनेंगे। चाहे वो इकॉनमी हो, टेक्नोलॉजी हो, डिफेंस हो या सबसे ज़रूरी—हमारी सोच और हमारा जज़्बा। इसके अलावा कोई और रास्ता है ही नहीं।”

अब भारत के लिए सोचने का वक्त है, सहने का नहीं

ये टैरिफ सिर्फ एक आर्थिक कार्रवाई नहीं है, ये एक राजनीतिक चेतावनी भी है। अमेरिका चाहता है कि भारत उसकी लाइन पर चले—चाहे वो रूस से तेल खरीदने का मामला हो या वैश्विक नीतियों पर समर्थन।

लेकिन भारत अब पहले वाला भारत नहीं है। और दीपिंदर गोयल जैसे लीडर्स ये बात खुलकर कह रहे हैं।

क्या अब भारत झुकेगा? या झकझोरेगा?

भारत के पास वो हर चीज़ है जिससे वो खुद को स्थापित कर सकता है:

अब जरूरत है एक सामूहिक सोच की—जहां हम सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं, रणनीति से जवाब दें।

दीपिंदर गोयल की पोस्ट हमें यह याद दिलाती है कि अगर हम अपनी जगह खुद तय नहीं करेंगे, तो दुनिया हमें वहीं बैठाएगी, जहां उसे ठीक लगे।

अब फैसला हमारा है—औकात याद रखने का, या औकात बनाने का।

और जैसा उन्होंने कहा-

“इसके अलावा कोई और रास्ता है ही नहीं।”

 

 

 

 

 

 

 

 

Exit mobile version